iPhone 15 Plus
Apple भारत में अपनी iPhone प्रोडक्शन को तेजी से बढ़ा रहा है. अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर गहराता जा रहा है. इसका फायदा भारत को मिल रहा है. नई रिपोर्ट के अनुसार, Apple के लिए iPhone बनाने वाली कंपनियाँ दो नए असेंबली प्लांट्स खोलने की योजना बना रही हैं. इसमें एक Tata Electronics और दूसरा Foxconn की ओर से है.
यह तेज विस्तार ऐपल की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वो अपनी सप्लाई चेन को और व्यापक करना चाहता है. कंपनी चीन पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहती है. अभी भारत में तीन iPhone असेंबली प्लांट्स हैं. इसमें दो तमिलनाडु में और एक कर्नाटक में है.
Reuters की एक रिपोर्ट के मुताबिक, Tata Electronics ने तमिलनाडु के होसुर में एक नया प्लांट शुरू कर दिया है. इस प्लांट में सिंगल असेंबली लाइन पर पुराने iPhone मॉडल्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो चुकी है. दूसरी तरफ ऐपल का सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर Foxconn कर्नाटक के बेंगलुरु में 2.6 बिलियन डॉलर की लागत से एक बड़ा प्लांट फाइनल कर रहा है. ये प्लांट कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है. और इसमें iPhone 16 और iPhone 16e मॉडल्स बनाए जाएँगे.
Foxconn का यह प्लांट फुल कैपेसिटी पर प्रति घंटे 300-500 iPhone यूनिट्स प्रोड्यूस करेगा. साथ ही, दिसंबर 2027 तक इसके पूरी तरह बनने पर करीब 50,000 लोगों को रोज़गार मिलेगा. अभी भारत में ऐपल के तीन प्लांट्स हैं—दो तमिलनाडु (Foxconn और Tata) और एक कर्नाटक (Wistron, जिसे Tata ने खरीदा) में. इन दो नए प्लांट्स के साथ भारत में ऐपल की मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी और मज़बूत होगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन पर 100% से ज्यादा टैरिफ लगाए हैं. जिससे ऐपल जैसी टेक कंपनियों में हड़कंप मच गया है. इन टैरिफ की घोषणा के बाद ऐपल ने इमरजेंसी में भारत से अमेरिका के लिए iPhone की प्लेन-लोड्स भेजीं. मार्क गुरमन की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐपल चाहता है कि अमेरिका में बिकने वाले सभी iPhone भारत में असेंबल हों क्योंकि भारत से इम्पोर्ट पर टैरिफ्स (26%) चीन (54%) की तुलना में काफी कम हैं.
Counterpoint Research के अनुसार, ग्लोबल iPhone प्रोडक्शन का 75% अभी भी चीन में होता है, जबकि भारत 18% योगदान देता है. ऐपल का प्लान है कि 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले ज्यादातर iPhone भारत में बनें. मार्च 2025 में भारत से 600 टन iPhone (2 बिलियन डॉलर की वैल्यू) अमेरिका भेजे गए, जिसमें Foxconn ने 1.3 बिलियन डॉलर के फोन सप्लाई किए.
ऐपल का भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने का प्लान भले ही मजबूत हो, लेकिन मार्क गुरमन ने कुछ चुनौतियों की ओर इशारा किया है. खास तौर पर 2026 में iPhone 18 और रूमर्ड फोल्डेबल iPhone की मैन्युफैक्चरिंग मुश्किल हो सकती है. नए डिजाइन्स की जटिलता की वजह से ऐपल ने अब तक कोई नया iPhone डिजाइन चीन के बाहर प्रोड्यूस नहीं किया है.
iPhone 16 जैसे पुराने मॉडल्स भारत में आसानी से बन रहे हैं, लेकिन नए मॉडल्स के लिए भारत को अभी अपनी मैन्युफैक्चरिंग स्किल्स अपग्रेड करनी होंगी. इसके अलावा, ऐपल अभी भी ज्यादातर कंपोनेंट्स (जैसे डिस्प्ले, चिप्स) चीन से इम्पोर्ट करता है. Financial Times की रिपोर्ट के मुताबिक, सप्लाई चेन को पूरी तरह भारत में शिफ्ट करने में कई साल लग सकते हैं.
भारत में मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट भी चीन से 5-10% ज़्यादा है, क्योंकि कंपोनेंट्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी और लोकल सप्लायर्स की कमी है. भारत में ऐपल की तेजी से बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग ‘Make in India’ के लिए गेम-चेंजर है.
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