Google का बड़ा तोहफा! भारत में लॉन्च हुई ये धांसू सर्विस, इमरजेंसी में सीधे लोकेशन पर पहुंच जाएगी पुलिस, ऐसे करें ON

Updated on 24-Dec-2025

संकट की घड़ी में हर सेकंड कीमती होता है. कल्पना कीजिए कि कोई मुसीबत में है, एक्सीडेंट हो गया है या कोई मेडिकल इमरजेंसी है. ऐसे में हम तुरंत 112 या पुलिस को कॉल करते हैं. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत तब आती है जब सामने वाला पूछता है “आप कहां हैं? अपनी लोकेशन बताइए.” कई बार घबराहट में या अनजान जगह होने पर हम सटीक पता नहीं बता पाते हैं.

इस दिक्कत को गूगल ने दूर कर दिया है. भारत के Android यूजर्स को एक बड़ा लाइफ-सेविंग अपडेट मिला है. Google ने भारत में अपनी Emergency Location Service (ELS) को एक्टिवेट कर दिया है. अब जैसे ही आप इमरजेंसी कॉल करेंगे, आपका फोन खुद-ब-खुद पुलिस को बता देगा कि आप ठीक किस जगह पर खड़े हैं.

क्या है Android ELS और यह क्यों जरूरी है?

अक्सर देखा गया है कि एम्बुलेंस या पुलिस को घटनास्थल तक पहुंचने में देरी इसलिए होती है क्योंकि वे रास्ता ढूंढने में उलझ जाते हैं.

पुरानी तकनीक: पारंपरिक रूप से, इमरजेंसी ऑपरेटर्स ‘सेल टॉवर ट्राइंगुलेशन’ पर निर्भर करते थे. इसमें आपके नजदीकी मोबाइल टॉवर के आधार पर अंदाजा लगाया जाता था कि आप कहां हैं. लेकिन इसकी सटीकता बहुत खराब होती है. इसमें कई किलोमीटर का अंतर हो सकता है. यानी आप टॉवर से 2 किलोमीटर दूर भी हो सकते हैं, जो इमरजेंसी में बहुत बड़ा फासला है.

नई तकनीक (ELS Way): Google का ELS इस अंतर को कई किलोमीटर से घटाकर कुछ मीटर तक ले आता है. यह एक ऐसा इन-बिल्ट फीचर है जो चुपचाप अपना काम करता है. यह कोई अलग से डाउनलोड किया जाने वाला ऐप नहीं है, बल्कि Android ऑपरेटिंग सिस्टम का ही एक हिस्सा है.

काम करने का तरीका

यह तकनीक बहुत ही स्मार्ट तरीके से काम करती है. यह सिर्फ जीपीएस (GPS) पर निर्भर नहीं रहती, क्योंकि हम जानते हैं कि बड़ी इमारतों के अंदर या घनी आबादी वाले इलाकों में जीपीएस सिग्नल कमजोर हो जाता है.

ELS आपकी सटीक लोकेशन पता करने के लिए इन चार चीजों का एक ‘कॉकटेल’ इस्तेमाल करता है:

  • GPS: सैटेलाइट से मिलने वाला डेटा.
  • Wi-Fi: भले ही आपका फोन वाई-फाई से कनेक्ट न हो, लेकिन ELS आसपास के वाई-फाई नेटवर्क्स को स्कैन करके पता लगा लेता है कि आप किस बिल्डिंग या इलाके में हैं.
  • मोबाइल नेटवर्क: सेल टॉवर का डेटा.
  • डिवाइस सेंसर्स: आपके फोन में मौजूद सेंसर्स (जैसे एक्सेलेरोमीटर) का डेटा.

जैसे ही आप 112 (भारत का ऑल-इन-वन इमरजेंसी नंबर) डायल करते हैं, ELS अपने आप बैकग्राउंड में एक्टिवेट हो जाता है. यह तुरंत आपकी लोकेशन कैलकुलेट करता है और उसे सीधे इमरजेंसी रिस्पॉन्स सेंटर (कंट्रोल रूम) को भेज देता है. सबसे अच्छी बात यह है कि यह डेटा भेजने के लिए इंटरनेट की भी जरूरत नहीं पड़ती; यह Data SMS के जरिए भी लोकेशन भेज सकता है.

प्राइवेसी का क्या होगा?

जब भी लोकेशन ट्रैकिंग की बात आती है, तो लोगों के मन में डर होता है कि क्या Google उन पर नजर रख रहा है? Google ने साफ किया है कि यह फीचर प्राइवेसी-फर्स्ट डिजाइन पर आधारित है. ELS द्वारा कैलकुलेट किया गया लोकेशन डेटा सीधे आपके फोन से इमरजेंसी एंडपॉइंट (पुलिस/एम्बुलेंस कंट्रोल रूम) तक भेजा जाता है. यह डेटा Google के सर्वर से होकर नहीं गुजरता है.

यह फीचर 24 घंटे आपकी लोकेशन ट्रैक नहीं करता. यह केवल तभी एक्टिवेट होता है जब आप कोई इमरजेंसी कॉल करते हैं. कॉल कटते ही यह वापस बंद हो जाता है.

अपने फोन में ELS कैसे ऑन करें?

वैसे तो Android 4.4 या उससे ऊपर के लगभग सभी आधुनिक फोन्स में यह फीचर बाय डिफ़ॉल्ट (By Default) ऑन रहता है. लेकिन तकनीक पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए. अपनी सुरक्षा के लिए आज ही इसे एक्टिवेट करें. इसके लिए अपने फोन की Settings में जाएं.

नीचे स्क्रॉल करें और “Safety & Emergency” ऑप्शन ढूंढें. (कुछ फोन्स में यह Location > Advanced या Password & Security के अंदर मिल सकता है).
यहां आपको “Emergency Location Service” का ऑप्शन दिखेगा. उस पर टैप करें और सुनिश्चित करें कि बटन “On” (नीला) है.

इसी मेनू में आपको “Medical Information” का ऑप्शन भी मिलेगा. इसमें अपना ब्लड ग्रुप, एलर्जी और इमरजेंसी कॉन्टैक्ट्स जरूर भरें. इसका फायदा यह है कि अगर आपका फोन लॉक भी है, तो भी फर्स्ट रिस्पॉन्डर्स (बचाव दल) लॉक स्क्रीन पर इमरजेंसी बटन दबाकर यह जानकारी देख सकते हैं.

भारत के लिए यह वरदान क्यों है?

भारत जैसे देश में ELS की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. यह भारत की एकीकृत हेल्पलाइन 112 के साथ पूरी तरह कॉम्पिटेबल है. चूंकि यह केवल कॉल के दौरान एक्टिवेट होता है, इसलिए यह आपके फोन की बैटरी खर्च नहीं करता. है

भारत के कई इलाकों में इंटरनेट धीमा होता है. ELS को डेटा या इंटरनेट की सख्त जरूरत नहीं है, यह लो-सिग्नल एरिया में भी काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. भारत की घनी आबादी वाली बस्तियों (Urban Slums) या ऊंची इमारतों में जहां जीपीएस फेल हो जाता है, वहां ELS वाई-फाई सिग्नल्स का उपयोग करके सटीक मंजिल या कमरे तक की जानकारी देने में मदद कर सकता है.

अभी कहां उपलब्ध है?

फिलहाल, यह फीचर चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह फीचर सबसे पहले उत्तर प्रदेश में एक्टिवेट किया गया है. यूपी भारत का सबसे बड़ा राज्य है और यहां डायल 112 का नेटवर्क काफी मजबूत है. आने वाले दिनों में इसे देश के अन्य राज्यों और शहरों में भी पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा.

यह फीचर उन सभी डिवाइसेज पर काम करेगा जो Android 6.0 (Marshmallow) या उससे नए वर्जन पर चल रहे हैं. यानी अगर आपका फोन पिछले 6-7 सालों में खरीदा गया है, तो उसमें यह फीचर जरूर होगा. यह फीचर सही से काम करे, इसके लिए जरूरी है कि आपके फोन में Google Play Services अपडेटेड हो. अगर आपने प्ले सर्विसेज को डिसेबल कर रखा है, तो यह काम नहीं करेगा.

यह भी पढ़ें: पुराना फोन बन जाएगा हाई-टेक CCTV कैमरा, बेकार समझ फेंकने की न करें गलती, ऐसे करें फ्री में सेटअप, कहीं से 24×7 रहेगी नजर

Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं.

Connect On :