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भारत में डिजिटल प्राइवेसी के लिए एक महत्वपूर्ण मामले के रूप में, महाराष्ट्र के निवासी संतोष तोराने ने Krafton India Pvt. Ltd. के खिलाफ गंभीर कानूनी कार्रवाई की शुरुआत की है, हम जानते है कि Krafton दुनिया भर में जानी मानी मोबाइल गेम बैटलग्राउंड्स मोबाइल इंडिया (BGMI) को निर्माण करने वाली कंपनी है। इंटरनेट पर इसे लेकर अब मानो एक नया ही मुद्दा खड़ा हो गया है। असल में, TalkEsport को मिले डॉक्यूमेंट्स के अनुसार, यह मामला डेटा उल्लंघन, अनुबंध उल्लंघन और अनधिकृत साझेदारी सहित घटनाओं की एक बड़ी सीरीज को उजागर कर रहा है, इससे कंपनी पर यह भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह यूजर्स की जानकारी को किस प्रकार से हैन्डल कर रही है।
एफआईआर में डेटा सेल को लेकर बड़ा आरोप भी लगाया गया है। 5 सितंबर 2024 को अकलुज पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर (नं. 0474/2024) के अनुसार, तोराने ने क्राफ्टन इंडिया और इसके 4 अधिकारियों ‘WooYol Lim, Jitendra Bansal, Yoonal Soni, और Wooyol Shalom पर 2 अगस्त 2021 को किए गए ऑनलाइन सेवा समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। इस समझौते में तोराने को क्राफ्टन की गेम सर्विस का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी, इसमें प्राइवेसी को लेकर बहुत सी कड़ी शर्तें भी थी।
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आपको जानकारी के लिए बता देते है कि TalkEsport को FIR की कॉपी मिली है, जिसके अनुसार, आरोप लगाया गया है कि क्राफ्टन ने इन शर्तों का उल्लंघन करते हुए तोराने की व्यक्तिगत जानकारी को गलत तरीके से पब्लिश की है, और अनधिकृत तरीकों से इसका उपयोग किया है। विशेष रूप से, शिकायतकर्ता का दावा है कि प्राइवेसी डेटा को लीक किया गया और कुछ थर्ड पार्टी सर्विसेस के साथ शेयर भी किया गया है, इसके लिए कंपनी ने कथित तौर पर ₹2,000 प्रति यूजर के हिसाब से चार्ज भी लिया है। आरोपों में आपराधिक साजिश (IPC 120-B), धोखाधड़ी (IPC 420) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धाराओं 72, 72A और 85 के तहत उल्लंघन शामिल हैं।
इसके बाद यह मामला कोर्ट गया और कोर्ट ने एक आदेश जारी कर दिया, जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने अकलुज पुलिस को धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया। यह तब हुआ जब तोराने ने यह साबित किया कि उसने पहले इस शिकायत को 3 और 6 नवंबर 2023 को अकलुज पुलिस स्टेशन और पुलिस अधीक्षक, सोलापुर को भेजा था, लेकिन अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
मजिस्ट्रेट ने यह देखा कि मामला गंभीर है, और सच का पता लगाने और एविडेंस इकट्ठा करने के लिए पुलिस जांच अनिवार्य है।
क्राफ्टन ने इस मामले को लेकर इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। कंपनी ने मुंबई उच्च न्यायालय में दो याचिकाएँ (संख्या 4806 और 5342/2024) दायर कीं, जिसमें एफआईआर को चुनौती दी गई और जांच को रोकने की मांग की गई। इसके बाद, अब मामले पर नई सुनवाई 15 अप्रैल को होने वाली है।
असल में, इस केस के बाद ऐसा हो सकता है कि डिजिटल नीति में कुछ बदलाव आ जाए, असल में यह मुद्दा केवल अनुबंध उल्लंघन नहीं है। यह डेटा सुरक्षा और कॉर्पोरेट जिम्मेदारी का मामला है। भारत में उपयोगकर्ता की गोपनीयता एक बढ़ती हुई चिंता का विषय बन चुकी है, विशेष रूप से टेक और गेमिंग के क्षेत्रों में इसपर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। यह मामला कड़ी डेटा रेगुलेशन और निगरानी को बढ़ावा दे सकता है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो क्राफ्टन को अपने एक प्रमुख बाजार में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, ऐसे में कंपनी की साख को भी बड़ी ठेस लगने वाली है।
हमने इस मामले को लेकर Krafton से उनका जवाब मांगा था और अब इसे लेकर कंपनी ने आधिकारिक स्टैटमेंट जारी कर दिया है। उन्होंने इस खबर को झुटलाया नहीं है। देखें उनका क्या कहना है:
“At KRAFTON, the protection of personal data is of utmost importance to us, and we are committed to upholding the highest standards of data security. As the matter is currently sub judice, we believe it is best to wait for the legal process to conclude, after which we will provide any necessary clarifications”
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