खुशखबरी! भारत में Elon Musk के Starlink की टेस्टिंग शुरू, सैटेलाइट से सीधे मिलेगा इंटरनेट, जानें कब तक मिलेगी सर्विस

Updated on 24-Oct-2025

भारत के दूर-दराज के गांवों में रहने वालों के लिए, तेज इंटरनेट अब तक एक सपना ही था. लेकिन अब यह सपना हकीकत बनने जा रहा है, और इसे पूरा कर रहे हैं Elon Musk. टेस्ला के बाद अब मस्क की दूसरी बड़ी कंपनी, SpaceX, अपनी क्रांतिकारी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ‘स्टारलिंक’ (Starlink) को भारत में लाने के लिए पूरी तरह तैयार है.

स्टारलिंक ने भारत में अपने कमर्शियल ब्रॉडबैंड सर्विस को लॉन्च करने से पहले का आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव ‘सिक्योरिटी टेस्ट’ शुरू कर दिया है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो 2026 की शुरुआत में मस्क आपको सीधे अंतरिक्ष से हाई-स्पीड इंटरनेट बेच रहे होंगे.

सिक्योरिटी टेस्ट हुआ शुरू, 2026 लॉन्च का काउंटडाउन

स्टारलिंक ने भारत में सिक्योरिटी इवैल्यूएशन (सुरक्षा जांच) की एक सीरीज शुरू कर दी है. यह एक अनिवार्य कदम है, जिसके बिना कोई भी टेलीकॉम ऑपरेटर भारत के आसमान में डेटा नहीं भेज सकता. द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टारलिंक ने भारत पर 600 गीगाबिट प्रति सेकंड की बैंडविड्थ के लिए अनुरोध किया है, और सिक्योरिटी जांच के लिए स्पेक्ट्रम अस्थायी रूप से आवंटित भी कर दिया गया है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, बस अब टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) द्वारा सैटेलाइट सेवाओं के लिए प्राइसिंग गाइडलाइन्स को फाइनल करने का इंतजार है, जो इस साल के अंत तक होने की उम्मीद है. जैसे ही यह होता है, स्टारलिंक कुछ ही महीनों में अपना ऑपरेशन शुरू कर सकता है. संक्षेप में, 2026 लॉन्च का काउंटडाउन शुरू हो चुका है.

अंतरिक्ष की रेस में जियो और वनवेब से होगी टक्कर

लेकिन मस्क के लिए यह राह आसान नहीं होगी, क्योंकि भारत का सैटेलाइट ब्रॉडबैंड मार्केट किसी रॉकेट की तरह ही गर्म हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्पेस इकोनॉमी को प्राइवेट प्लेयर्स के लिए खोलने के बाद, स्टारलिंक के मुख्य प्रतिद्वंद्वी पहले से ही मैदान में हैं. इनमें रिलायंस जियो की ‘स्पेस फाइबर’ (Space Fibre) और भारती-समर्थित Eutelsat की ‘वनवेब’ (OneWeb) शामिल हैं.

ये सभी कंपनियां ग्रामीण भारत में पैची मोबाइल और फाइबर नेटवर्क द्वारा छोड़े गए गैप को भरने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि, मस्क का प्लान सबसे बड़ा लगता है. सूत्रों से पता चलता है कि SpaceX की योजना पूरे भारत में कम से कम 10 सैटेलाइट गेटवे (ground stations) बनाने की है, जो उसके कंपटीटर्स के ब्लूप्रिंट से तीन गुना ज्यादा है.

मुंबई बना ‘मिशन कंट्रोल’

अगर स्टारलिंक के भारतीय प्लान का कोई लॉन्चपैड है तो वह मुंबई है. SpaceX ने शहर में पहले ही तीन ग्राउंड स्टेशन पूरे कर लिए हैं, जिन्हें अंदरूनी लोग कंपनी का लोकल कमांड हब बता रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंफ्रास्ट्रक्चर का काम जोरों पर है और अधिकारी जल्द ही ऑन-साइट इंस्पेक्शन की तैयारी कर रहे हैं. जैसे ही हरी झंडी मिलती है, स्टारलिंक कुछ ही महीनों में पूरे उपमहाद्वीप में सिग्नल बीमिंग शुरू कर सकता है.

स्टारलिंक का ‘मास मार्केट’ प्लान

स्टारलिंक का गेम-प्लान अपने प्रतिद्वंद्वियों से बिल्कुल अलग है. जियो और वनवेब जहां बड़े कॉरपोरेट और सरकारी क्लाइंट्स पर फोकस कर रहे हैं, वहीं स्टारलिंक सीधे रिटेल ग्राहकों यानी आम जनता को टारगेट कर रहा है. कंपनी भारत की उस विशाल आबादी को टारगेट करना चाहती है, जो अभी भी भरोसेमंद इंटरनेट से वंचित है. SpaceX की योजनाओं से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, “स्टारलिंक के लो-ऑर्बिट सैटेलाइट्स लाखों लोगों के लिए कनेक्टिविटी को बदल सकते हैं.” मस्क की टीम को अपनी ब्रांड पावर पर भी भरोसा है, जो शहरों में रहने वाले टेक-लविंग यूजर्स को हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड के लिए थोड़ा अतिरिक्त भुगतान करने के लिए आकर्षित कर सकती है.

यह स्टारलिंक का भारत में दूसरा बड़ा कदम होगा, इससे पहले टेस्ला की एंट्री इस साल की शुरुआत में हो चुकी है. टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी हाल ही में कहा था कि भारत का लक्ष्य नागरिकों को “स्थलीय, फाइबर और सैटेलाइट” कम्युनिकेशन का मिश्रण प्रदान करना है, जो SpaceX जैसे ग्लोबल प्रोवाइडर्स के लिए एक खुला निमंत्रण है.

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Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं.

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