भारत की फाइनेंशियल क्राइम एजेंसी यानी इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने Amazon और वॉलमार्ट-ओन्ड Flipkart की जांच के तहत Apple, Xiaomi और अन्य स्मार्टफोन कंपनियों से सेल्स डेटा और दस्तावेज मांगे हैं. रॉयटर्स के सूत्रों के मुताबिक, यह जांच विदेशी निवेश नियमों (FDI) के उल्लंघन और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा इन्वेंट्री कंट्रोल करने के आरोपों पर केंद्रित है.
ET की रिपोर्ट के अनुसार, ED कई सालों से Amazon और Flipkart की जांच कर रही है. इन पर आरोप है कि ये भारतीय FDI नियमों का उल्लंघन कर रही हैं. भारतीय कानून के तहत, विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां इन्वेंट्री को स्टॉक या कंट्रोल नहीं कर सकती हैं. इन्हें सिर्फ एक मार्केटप्लेस के तौर पर काम करना है, जो खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ता हो. लेकिन छोटे भारतीय ट्रेडर्स का आरोप है कि ये कंपनियां चुनिंदा सेलर्स को प्राथमिकता देकर और भारी डिस्काउंट देकर ऑफलाइन मोबाइल स्टोर्स के बिजनेस को नुकसान पहुंचा रही हैं.
हाल ही में, ED ने Apple, Xiaomi और अन्य स्मार्टफोन कंपनियों को पत्र लिखकर उनके ऑनलाइन सेल्स डेटा और Amazon/Flipkart के साथ हुए फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट्स मांगे. एक सूत्र के मुताबिक, Apple को मार्च 2025 में ED का निर्देश मिला. जांच का फोकस इन कंपनियों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के बीच डील्स पर है, खासकर कि क्या स्मार्टफोन कंपनियां चुनिंदा सेलर्स के जरिए इन्वेंट्री कंट्रोल में मदद कर रही हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, ED ने स्मार्टफोन कंपनियों से उनके Amazon और Flipkart पर बिकने वाले प्रोडक्ट्स का डेटा मांगा है. ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इन प्लेटफॉर्म्स ने कुछ सेलर्स को अनुचित फायदा दिया.
ED यह जांच रही है कि क्या स्मार्टफोन कंपनियों ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के साथ ऐसे समझौते किए, जो FDI नियमों का उल्लंघन करते हैं. एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, Apple और Xiaomi जैसी कंपनियां इस मामले में आरोपी नहीं हैं. ED सिर्फ इनसे जानकारी मांग रही है. हालांकि, अगर Amazon और Flipkart दोषी पाए गए, तो उन पर भारी जुर्माना लग सकता है.
यह जांच ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका एक ट्रेड डील को अंतिम रूप देने के करीब हैं. भारत के प्रोटेक्शनिस्ट ई-कॉमर्स नियम इस डील की चर्चाओं का हिस्सा रहे हैं. अमेरिकी अधिकारी लंबे समय से भारत से ई-कॉमर्स सेक्टर को और खोलने की मांग कर रहे हैं क्योंकि Amazon और Flipkart जैसे अमेरिकी ब्रैंड्स को भारत में सख्त नियमों का सामना करना पड़ता है. इस जांच के नतीजे ट्रेड डील की शर्तों को प्रभावित कर सकते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रॉयटर्स ने Amazon के इंटरनल डॉक्यूमेंट्स के आधार पर खुलासा किया था कि कंपनी कुछ बड़े सेलर्स की इन्वेंट्री पर “सिग्निफिकेंट कंट्रोल” रखती थी, जो FDI नियमों के खिलाफ है. हालांकि, Amazon ने इन आरोपों से इनकार किया था.
पिछले साल, कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने 1,027-पेज (Amazon) और 1,696-पेज (Flipkart) की रिपोर्ट में पाया कि दोनों कंपनियों ने चुनिंदा सेलर्स को प्राथमिकता दी और Samsung, Xiaomi, Vivo जैसी कंपनियों के साथ मिलकर प्रोडक्ट्स को एक्सक्लूसिवली लॉन्च किया, जो एंटीट्रस्ट नियमों का उल्लंघन है. CCI ने यह भी पाया कि ये प्लेटफॉर्म्स सेलर्स को वेयरहाउसिंग और मार्केटिंग जैसी सर्विस पर सब्सिडी दे रहे थे.
ED ने दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद में Amazon और Flipkart के 19 सेलर्स के ऑफिस पर छापे मारे. इनमें Amazon के पूर्व टॉप सेलर Appario भी शामिल था, जिसे Amazon ने “स्पेशल मर्चेंट” का दर्जा दिया था.
Bain & Company के मुताबिक, भारत का ई-रिटेल मार्केट 2023 में $57-60 बिलियन था, जो 2028 तक $160 बिलियन को पार कर जाएगा. जबकि Counterpoint Research के अनुसार, 2024 में भारत में 40% फोन सेल्स ऑनलाइन हुईं. इसमें Samsung और Xiaomi का मार्केट शेयर 33%, जबकि Apple का 7% था.
Datum Intelligence के मुताबिक, Flipkart का 32% और Amazon का 24% शेयर भारत के ई-कॉमर्स मार्केट में है, जो $834 बिलियन के रिटेल सेक्टर का 8% है. भारत में ई-कॉमर्स तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन छोटे ट्रेडर्स और ऑफलाइन रिटेलर्स का कहना है कि Amazon और Flipkart की प्रैक्टिसेज उनके बिजनेस को नुकसान पहुंचा रही हैं.
Confederation of All India Traders (CAIT) 80 मिलियन रिटेलर्स का प्रतिनिधित्व करता है. उसने इन कंपनियों के खिलाफ कई शिकायतें की हैं. X पर यूजर्स ने भी इस जांच का समर्थन किया है, इसे छोटे बिज़नेसेज़ के लिए “ज़रूरी कदम” बताया. इसके अलावा Xiaomi ने CCI की Flipkart जांच रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की थी क्योंकि इसमें उनकी मॉडल-वाइज़ सेल्स डेटा जैसी संवेदनशील जानकारी थी.
अगर ED को FDI नियमों के उल्लंघन के सबूत मिले, तो दोनों कंपनियों (Amazon और Flipkart) पर भारी जुर्माना लग सकता है. कुछ मामलों में क्रिमिनल प्रोसीडिंग्स भी शुरू हो सकती हैं. Apple और Xiaomi जैसे ब्रैंड्स पर सीधे आरोप लगने की संभावना कम है, लेकिन उनकी सेल्स स्ट्रैटेजीज़ और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के साथ डील्स की जांच हो सकती है.