No UPI, ओनली कैश.. भारत के इस शहर में UPI से पेमेंट लेना बंद कर रहे हैं लोग, जानें वजह

Updated on 18-Jul-2025

UPI का इस्तेमाल काफी ज्यादा हो रहा है. लोग पेमेंट के लिए इसको काफी आसान तरीका मानते हैं. लेकिन, एक शहर में अब इसका विरोध हो रहा है. दुकानदार UPI के जरिए पेमेंट नहीं ले रहे हैं. देश की टेक राजधानी कही जाने वाली बेंगलुरु में अब दुकानों पर QR कोड हटाकर हाथ से लिखे पोस्टर या प्रिंटआउट चिपकाए जा रहे हैं

इन पोस्टर पर “No UPI, Only Cash” लिखा है. एक समय पर डिजिटल पेमेंट को तेजी से अपनाने वाले छोटे दुकानदार और फेरीवाले अब वापस नकद लेनदेन की ओर लौट रहे हैं. इसका कारण है GST विभाग की सख्ती और ट्रांजैक्शन को लेकर आ रहे लगातार आ रहे नोटिस.

ToI की एक रिपोर्ट के अनुसार, होरामावु क्षेत्र में दुकान चलाने वाले शंकर ने बताया कि “मैं रोज लगभग ₹3000 का व्यापार करता हूं और उसी से घर चलता है. अब मैं UPI से पेमेंट नहीं ले सकता.” कई दुकानदारों, वकीलों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के अनुसार, हजारों अनरजिस्टर्ड छोटे व्यापारी, जैसे कि स्ट्रीट फूड स्टॉल, ठेले और गली मोहल्लों की दुकानें को GST नोटिस मिले हैं. कुछ मामलों में लाखों रुपये की टैक्स डिमांड आई है.

GST के मौजूदा नियम

वर्तमान GST नियमों के अनुसार, सामान बेचने वाले व्यापारियों को ₹40 लाख से अधिक के सालाना टर्नओवर पर GST रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. सेवा प्रदाताओं के लिए यह सीमा ₹20 लाख है.

क्या कहते हैं विभाग और विशेषज्ञ?

वाणिज्य कर विभाग के मुताबिक, नोटिस उन्हीं मामलों में जारी किए गए हैं जहां 2021-22 से UPI ट्रांजेक्शन डेटा में यह संकेत मिला कि टर्नओवर तय सीमा से ज्यादा है. हालांकि, कर्नाटक के वाणिज्य कर विभाग के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त एचडी अरुण कुमार ने कहा “GST कानूनों के अनुसार, टैक्स अधिकारियों को पुख्ता सबूत देना होता है. वे सिर्फ अनुमान के आधार पर टैक्स डिमांड नहीं बना सकते हैं.”

एक पूर्व GST फील्ड अधिकारी ने बताया कि “हर UPI क्रेडिट बिजनेस इनकम नहीं होता है. इनमें कुछ पैसे दोस्त-रिश्तेदारों से उधार या ट्रांसफर भी हो सकते हैं.” चार्टर्ड अकाउंटेंट श्रीनिवासन रामकृष्णन के अनुसार, “अगर GST अधिकारी अनरजिस्टर्ड वेंडर्स से अच्छा टैक्स रेवेन्यू इकट्ठा कर पाते हैं, तो बाकी राज्य भी इसी मॉडल को अपनाएंगे.” उन्होंने यह भी बताया कि मुंबई में भी बड़े स्तर पर चाट वेंडर्स को टारगेट किया जा रहा है और जल्द ही यह ट्रेंड पूरे देश में दिखेगा.

क्यों हो रही है सख्ती?

कर्नाटक सरकार का 2025-26 के लिए ₹1.20 लाख करोड़ का टैक्स कलेक्शन टारगेट है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को ₹52,000 करोड़ की वेलफेयर योजनाओं की फंडिंग के साथ-साथ अपने विधायकों की इंफ्रास्ट्रक्चर डिमांड को भी पूरा करना है. विपक्ष के भाजपा विधायक एस सुरेश कुमार ने इस मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की बात कही है.

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Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं.

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