Starlink की एंट्री भारत में जल्द होने वाली है. इसको टक्कर देने के लिए Amazon अपनी Project Kuiper सैटेलाइट इंटरनेट सेवा को भारत में लाने की तैयारी में है. रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन यानी DoT से ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस के लिए Letter of Intent (LoI) की मांग की है.
यह कदम Amazon के 2025 में Kuiper की कमर्शियल रोलआउट से पहले नियामक मंजूरी को तेज करने की रणनीति का हिस्सा है. आपको बता दें कि Project Kuiper का नाम सौरमंडल के Kuiper Belt से प्रेरित है.
यह Amazon की 2019 में शुरू की गई महत्वाकांक्षी परियोजना है. इसका लक्ष्य 3,236 लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स की कॉन्स्टलेशन बनाकर दुनिया भर के दूरस्थ और अल्प-सेवित क्षेत्रों में किफायती, हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड प्रदान करना है. 28 अप्रैल 2025 को यूनाइटेड लॉन्च अलायंस (ULA) के Atlas V रॉकेट से 27 ऑपरेशनल सैटेलाइट्स लॉन्च किए गए, जो Kuiper की पहली बड़ी तैनाती थी. Reuters के अनुसार, Amazon ने सभी सैटेलाइट्स से संपर्क स्थापित कर लिया है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2026 तक 1,618 सैटेलाइट्स (आधा कॉन्स्टलेशन) और 2029 तक बाकी लॉन्च करने का लक्ष्य है, जैसा कि FCC लाइसेंस में जरूरी है. Amazon ने 83 लॉन्च के लिए ULA, Arianespace, Blue Origin और SpaceX के साथ करार किया है.
Amazon भारत में Kuiper के लिए मजबूत ग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि Kuiper 100 Mbps से 1 Gbps तक की इंटरनेट स्पीड देगा. यह उपभोक्ताओं, उद्यमों, और सरकारी एजेंसियों के लिए उपयुक्त है.
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कंपनी की 10 गेटवे अर्थ स्टेशन और मुंबई व चेन्नई में दो पॉइंट्स ऑफ प्रेजेंस स्थापित करने की योजना है. ये सुविधाएं डेटा रूटिंग, नेटवर्क कनेक्टिविटी, और लेटेंसी ऑप्टिमाइजेशन में मदद करेंगी. इससे ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाना है. जहां पारंपरिक फाइबर या वायरलेस नेटवर्क उपलब्ध नहीं हैं.
आपको बता दें कि Amazon ने लगभग दो साल पहले DoT को आवेदन दिया था और हाल ही में LoI के लिए नया अनुरोध भेजा. इसका आवेदन अभी प्रक्रिया में है जबकि Starlink को पहले ही LoI मिल चुका है. DoT, IN-SPACe और गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद कंपनी अपनी सर्विस भारत में शुरू कर सकती है.
Kuiper की सैटेलाइट्स 450 km की ऊंचाई पर हैं, जो Starlink (550 km) से कम है, जिससे लेटेंसी कम हो सकती है. यह भारत में दूसरा सबसे बड़ा सैटकॉम प्लेयर बन सकता है.
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