दिल्ली–एनसीआर में हमेशा से ही सर्दी की शुरुआत के साथ प्रदूषण चरम पर पहुँच जाता है, ऐसा ही इस बार भी हुआ है, यही हाल उत्तर भारत का है। पूरा उत्तर भारत इस बार भी खतरनाक वायु प्रदूषण से जूझ रहा है। AQI लगातार 999 के पार जा रहा है और हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे प्रदूषक लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल करते ही जा रहे हैं। खराब और जहरीली हवा सिर्फ घर के बाहर ही नहीं, घरों और दफ्तरों के अंदर भी गंभीर रूप से फैलती जा रही है, जिस वजह से लोग मानो गैस के चैम्बरों में अपना जीवन बिताने को मजबूर हो गए हैं। अब जब हर तरफ से मुश्किल बढ़ती ही जा रही है तो ऐसे में एक एयर प्यूरीफायर ही जिंदगी बचा सकता है, अब इसे आप लग्जरी कह लीजिए या जान बचाने का महत्त्वपूर्ण साधन! अगर आप इस समय में एक एयर प्यूरीफायर खरीदने की सोच रहे हैं तो हम आपको 7 पॉइंट्स बताने वाले हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर आप एक दमदार और बेहतरीन प्रोडक्ट खरीद सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि इस जहरीली हवा में आप चैन की और साफ हवा में सांस ली जाए तो आइए नीचे दिया गए हर बिन्दु को गंभीरता से देखते हैं।
एयर प्यूरीफायर न सिर्फ बाहरी जहरीले प्रदूषकों को फिल्टर करते हैं बल्कि घर के अंदर की प्रदूषित हवा को भी साफ करते हैं, जिसे कई बार बाहर की हवा से ज्यादा खतरनाक माना जाता है। एक अच्छा एयर प्यूरीफायर PM2.5 कणों, एलर्जेन्स, धुएं और झगनशील गैसों तक को फिल्टर करके घर में रहने वाले सभी लोगों को राहत देता है। लेकिन जब बाजार में ढेरों मॉडल भरे पड़े हों, तो सही प्यूरीफायर चुनना आसान नहीं होता। कमरे के साइज़, फिल्टरेशन टेक्नोलॉजी, पावर और लंबे समय में लगने वाली लागत पर ध्यान दिए बिना सिर्फ चमकदार विज्ञापनों पर भरोसा करना गलत फैसला साबित हो सकता है।
एयर प्यूरीफायर खरीदने का सबसे पहला कदम यह है कि आप उस कमरे का साइज़ समझें, जिसके लिए आप यह मशीन लेने जा रहे हैं। हर प्यूरीफायर एक निश्चित कवरेज क्षेत्र के लिए बनाया जाता है। यदि आपका कमरा 150–200 वर्गफुट है, तो कम से कम 250 m³/h CADR वाला मॉडल बेस्ट हो सकता है, जबकि 400 CADR बड़े लिविंग रूम या ऑफिस आदि जैसे स्पेस के लिए बेस्ट होते हैं। इसके साथ ही True HEPA फिल्टर को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। यह फिल्टर 0.3 माइक्रोन तक के 99.97% कणों को पकड़ लेता है, और दिल्ली जैसे शहरों में यह एक अनिवार्य आवश्यकता बन गया है। HEPA के साथ एक मजबूत activated carbon layer होना भी बेहद ज़रूरी है, ताकि घर के अंदर मौजूद VOCs और जहरीली गैसें भी फिल्टर हो सकें। कई ब्रांड HEPA-like जैसे भ्रमित करने वाले शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए खरीदते समय सुनिश्चित करें कि मशीन में सचमुच True HEPA लगा हो।
इसके अलावा Air Changes Per Hour (ACH) भी अहम भूमिका निभाता है। यह बताता है कि मशीन एक घंटे में कमरे की हवा कितनी बार पूरी तरह साफ कर सकती है। आम घरों के लिए 4–5 ACH काफी है, लेकिन जहां बच्चे, बुजुर्ग या अस्थमा के मरीज हों, वहां 6–8 ACH के मॉडल ही बेहतर माने जाते हैं। दिल्ली की हवा को देखते हुए फिल्टर कितने महीनों तक चलते हैं, यह भी ध्यान में रखना चाहिए। कई ब्रांड लंबे समय तक चलने वाले फिल्टर का दावा करते हैं, लेकिन दिल्ली की सच्चाई यह है कि फिल्टर 3–6 महीनों में ही जाम होने लगते हैं। इसलिए फिल्टर बदलने की कीमत, उनकी उपलब्धता और कंपनी की सर्विस क्वालिटी पहले से जांचना बेहद जरूरी है।
आजकल प्यूरीफायर स्मार्ट फीचर्स के साथ आते हैं। इनमें ऐप कंट्रोल, वॉइस सपोर्ट और रीयल-टाइम AQI मॉनिटरिंग जैसी सुविधाएँ काफी उपयोगी हो सकती हैं, लेकिन इन्हें प्राथमिकता देना सही नहीं है। सबसे पहले एयर क्वालिटी, कवरेज और फिल्ट्रेशन शक्ति देखें, फिर स्मार्ट फीचर्स को बोनस मानें। चूंकि प्यूरीफायर कई घंटों तक चलना होता है, इसलिए उसका नॉइज़ लेवल भी खरीदारी में बड़ा फैक्टर बन जाता है। ऐसा मॉडल चुनें जिसकी ‘साइलेंट’ या ‘स्लीप मोड’ में आवाज़ 30 डेसिबल से कम रहे, ताकि आपको रातभर मशीन चलने पर भी परेशानी न हो।
अंत में, कीमत को अपनी ज़रूरत के हिसाब से तौलकर देखना जरूरी है। कई मिड-रेंज एयर प्यूरीफायर बहुत बेहतरीन परफॉर्मेंस देते हैं और छोटे-और उससे कुछ बड़े यानि मंझोले कमरों के लिए बिल्कुल उपयुक्त होते हैं। महंगे ब्रांडेड मॉडल हमेशा बेहतर नहीं होते। असली बात यह है कि मशीन आपको साफ हवा दे, सही कवरेज दे और लंबे समय में फिल्टर बदलने पर जेब न खाली कर दे। अगर घर में एक से अधिक प्यूरीफायर की जरूरत है, तो बजट संतुलित रखना और भी जरूरी हो जाता है। सही जानकारी के साथ लिया गया फैसला ही आपके घर की हवा और आपकी सेहत दोनों को सुरक्षित रख सकता है।
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