su from so karunaakar guruji aashram baba nirala
कन्नड़ सिनेमा की सु फ्रॉम सो (Su From So) साल 2025 की उन फिल्मों में शामिल है, जिसने हॉरर और कॉमेडी को एक बिल्कुल नए अंदाज़ में पेश किया है। जे.पी. थुमिनाड के निर्देशन में बनी यह फिल्म डराने के साथ-साथ हंसाती ही नहीं है, बल्कि हंसा हंसा कर लोटपोट कर देती है। हालांकि, अपनी इस कहानी में केवल हँसाना ही इस फिल्म का लक्ष्य नहीं लग रहा है, बल्कि कहानी को देखकर ऐसा लगता है कि यह समाज के लिए एक संदेश भी छोड़े जाती है। फिल्म की खास बात यह है कि इसमें भूत-प्रेत जैसे गंभीर विषय को भी मज़ाकिया और समझदार तरीके से दिखाया गया है। वहीं, राज बी. शेट्टी का किरदार ‘करुणाकर गुरुजी’ फिल्म को एक अलग ही लेवल पर ले जाता है। अगर आप आश्रम वाले बाबा निराला को जानते हैं तो आपको इस नए बाबा को देखकर उनका उल्टा ही देखने को मिलने वाला है, जहां एक ओर आश्रम वाले बाबा गुस्से, सत्ता, झूठ और फरेब के पीछे अपने आपको छिपाए रखते हैं और मासूम दिखने के नाटक करते हैं, वहीं करुणाकर गुरुजी को देखकर और उनके कामों को देखकर आप अपनी हंसी को नहीं रोक पाएंगे।
फिल्म की कहानी एक छोटे से गांव मार्लूर से शुरू होती है, जहां अशोक नाम का एक लापरवाह और कुछ थोड़ा चालाक युवक रहता है। एक रात वह खुद को बड़ी मुसीबत से बचाने के लिए यह नाटक करता है कि उस पर किसी भूत का साया आ गया है। शुरुआत में यह सबकुछ मज़ाक लगता है, लेकिन हालात तब बिगड़ जाते हैं जब अशोक गलती से कल्पना नाम ले लेता है। गांव वाले इसे सोमेश्वर की मशहूर महिला ‘सुलोचना’ से जोड़ देते हैं और यहीं से डर और अफवाहों का सिलसिला शुरू हो जाता है। ऐसा भी कह सकते हैं की मजाकिया तौर पर शुरू होने वाली कहानी अचानक ही एक भयानक मोड़ ले लेती है। यहीं से बदल जाती है पूरी की पूरी कहानी।
धीरे-धीरे यह अफवाह पूरे गांव में फैल जाती है कि अशोक पर सुलोचना की आत्मा आ गई है। सच्चाई जानने के लिए गांव के लोग सोमेश्वर जाते हैं, जहां उनकी मुलाकात सुलोचना की बेटी भानु से होती है। यहीं कहानी एक नया मोड़ लेती है और परत-दर-परत सच्चाई सामने आने लगती है। फिल्म का एंड सिर्फ डर या हंसी तक आकर ही नहीं रुकता है, बल्कि अशोक के आत्मबोध और एक सामाजिक सीख के साथ खत्म होता है।
कहानी में सबसे मज़ेदार और दिलचस्प एंगल तब आता है, जब अचानक ही कहानी में करुणाकर गुरुजी की एंट्री होती है। जब गांव वालों को पूरा यकीन हो जाता है कि अशोक पर आत्मा का साया है, तो वे मंगलोर से मशहूर आध्यात्मिक गुरु करुणाकर गुरुजी को इस साये को निकालने के लिए बुलाते हैं। राज बी. शेट्टी द्वारा निभाया गया यह किरदार फिल्म में जान डाल देता है। गुरुजी आत्मा निकालने के नाम पर ऐसे-ऐसे अजीब और मुश्किल लगने वाले अनुष्ठान करवाते और बताते हैं, जिन्हें देखकर अशोक खुद को और ज्यादा मुसीबत में फंसा हुआ पाता है, एक मुसीबत से निकलने के लिए जिस भूत का नाटक शुरू हुआ था, अब वह कुछ ज्यादा ही इंटेन्स होता जा रहा है।
गुरुजी का किरदार सिर्फ दराने या डर तक ही सिमटा हुआ नहीं है, बल्कि वह पूरी फिल्म में जबरदस्त कॉमेडी का एक बेहतरीन हिस्सा भी है। कभी वे एक्सोर्सिस्ट की तरह दिखते हैं तो कभी किसी रिश्ते जोड़ने वाले मैचमेकर जैसे बन जाते हैं। खास बात यह रही कि फिल्म के प्रमोशन के दौरान राज बी. शेट्टी की मौजूदगी को छुपाकर रखा गया था, जिससे थिएटर में उनकी एंट्री दर्शकों के लिए एक बड़ा सरप्राइज़ बन गई।
अंत में, ऐसा कहा जा सकता है की सु फ्रॉम सो एक ऐसी फिल्म है जो यह दिखाती है कि डर, अंधविश्वास और अफवाहें कैसे एक आम इंसान की ज़िंदगी उलट-पलट कर सकती हैं। इस फिल्म में आपको कॉमेडी का बेहतरीन तड़का तो मिलता ही है, इसके अलावा इस कहानी को देखकर आपको एक बेहतरीन अनुभव भी होने वाला है। इस फिल्म की IMDb रेटिंग 7.7 है। फिल्म को इस समय JioHotstar पर स्ट्रीम किया जा सकता है।