Dharmendra Special: हिंदी सिनेमा के इतिहास में अगर किसी फिल्म को ‘ऑल टाइम क्लासिक’ कहा जा सकता है, तो वह बिना किसी शक के शोले (Sholay) है। 15 अगस्त 1975 को रिलीज़ हुई यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं बल्कि भारतीय सिनेमा का एक स्वर्णिम अध्याय है। रमेश सिप्पी के निर्देशन और सलीम-जावेद की बेहतरीन लेखनी ने इस फिल्म को वह ऊँचाई दी जिसे कोई दूसरी फिल्म शायद ही छू पाई हो। इस फिल्म ने न केवल दर्शकों के मनोरंजन का तरीका बदला बल्कि भारतीय पॉप कल्चर को भी एक नई पहचान दी।
फिल्म की कहानी काल्पनिक गांव रामगढ़ की है, जहाँ का हर कोना गब्बर सिंह (अमजद खान) के डर से कांपता है। रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर ठाकुर बलदेव सिंह, जो गब्बर के आतंक का शिकार हो चुके हैं, दो अपराधियों जय (अमिताभ बच्चन) और वीरू (धर्मेंद्र) को उससे लड़ने के लिए बुलाते हैं, हालांकि, इन्हें जेल से इस काम के लिए निकाला जाता है, उन्हें कहा जाता है कि वह गब्बर सिंह को ‘ज़िंदा या मुर्दा’ पकड़कर लाएँ। इसी मिशन के दौरान वीरू को बसंती (हेमा मालिनी) से प्यार हो जाता है, जबकि जय की मुलाकात होती है राधा (जया भादुरी) से, जो ठाकुर की विधवा बहू है।
इन सभी के बीच की दोस्ती, प्यार और बदले की भावनाएँ कहानी को भावनात्मक गहराई देती हैं। फिल्म के डायलॉग जैसे: ‘कितने आदमी थे?’, ‘जो डर गया, समझो मर गया’, और ‘ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर’ आज तक हमारी बोलचाल अहम हिस्सा हैं, इसके अलावा कुछ अन्य कलाकार भी अपनी अदाकारी के दम पर हमेशा ही याद रखें जाएंगे, जैसे असरानी का अंग्रेजों के जमाने के जेलर, और सूरमा भोपाली का मेरा नाम सूरमा भोपाली ऐसे ही नहीं है, साथ साथ कालिया का सरदार मैंने आपका नमक खाया है।
शोले को लेकर ऐसा कहा जा सकता है कि इस फिल्म के सभी कलाकारों ने अपने किरदारों में जान डाल दी थी। धर्मेंद्र और अमिताभ की जोड़ी ने दोस्ती की मिसाल कायम की, जबकि अमजद खान का गब्बर सिंह भारतीय सिनेमा के इतिहास का सबसे प्रतिष्ठित खलनायक बन गया। ठाकुर का मौन प्रतिशोध, बसंती की मासूमियत, और जय की गंभीरता, हर किरदार ने दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी।
धर्मेन्द्र की शोले के संगीत को इसकी आत्मा के तौर पर देखा जा सकता है। फिल्म का म्यूजिक आर.डी. बर्मन बनाया गया था, उन्होंने ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ को इस कदर बनाया था कि आज भी लोग दोस्ती की मिसाल के लिए इसी गाने को गाते हैं। ऐसा भी कह सकते है कि यह गाना आज भी दोस्ती की पहचान है। कैमरा वर्क, बैकग्राउंड स्कोर और सिनेमैटोग्राफी ने इसे उस दौर की सबसे दमदार फिल्म के तौर पर भी पहचान दिलाई थी।
शुरुआत में फिल्म को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली थी, लेकिन धीरे-धीरे ‘शोले’ एक फिल्म नहीं बल्कि एक सिम्बल बन गई थी। कुछ समय में यह फिल्म केवल और केवल एक फिल्म न रखकर सभी की यादों का हिस्सा बन गई थी, और आज तक बनी हुई है। अब जब धर्मेन्द्र अस्पताल से ठीक होकर अपने घर लौट गए हैं तो आपको इसी खुशी में शोले को एक बार फिर से देख लेना चाहिए।
वर्तमान में शोले Amazon Prime Video और Apple TV पर पैसे देखकर देखी जा सकती है, इसके अलावा आप इसे Netflix पर भी देख सकते हैं। हालांकि, अगर आप इसे फ्री में देखना चाहते हैं तो आप इसे YouTube के सर्च बार में शोले फूल मूवी लिखकर फ्री में भी देख सकते हैं।
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