केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सार्वजनिक रूप से Arattai का समर्थन किया है, जिसके बाद से भारत के घरेलू मैसेजिंग ईकोसिस्टम को मजबूती मिली है. Arattai चेन्नई की कंपनी Zoho Corporation द्वारा बनाया गया एक मैसेजिंग ऐप है, जिसे WhatsApp के ‘मेड-इन-इंडिया’ ऑल्टरनेटिव के तौर पर पेश किया जा रहा है और यह सरकार की स्वदेशी पहल के साथ लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है.
“Arattai” शब्द का मतलब तमिल भाषा में “अनौपचारिक बातचीत” होता है. नाम की तरह ही यह ऐप रोज़मर्रा की आसान बातचीत पर केंद्रित है. इसमें टेक्स्ट मैसेजिंग, फोटो और वीडियो शेयरिंग, वॉयस और वीडियो कॉल, स्टोरीज़, डॉक्यूमेंट्स भेजने की सुविधा और बिज़नेस के लिए चैनल-आधारित ब्रॉडकास्ट जैसे फीचर्स मौजूद हैं. Zoho Corporation पहले से ही 55 से ज्यादा बिज़नेस एप्लिकेशन और 130 मिलियन ग्लोबल यूज़र्स के साथ एक मजबूत पहचान रखता है, और अरट्टाई के ज़रिए वह जाने-पहचाने अनुभव के साथ भारतीय पहचान को जोड़ने की कोशिश कर रहा है.
Arattai में वॉयस और वीडियो कॉल के लिए एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन उपलब्ध है, जिससे कॉल सुरक्षित रहती हैं. हालांकि, मैसेजिंग के लिए अभी इस स्तर का एन्क्रिप्शन मौजूद नहीं है. यह व्हाट्सऐप की तुलना में एक बड़ी कमी है, क्योंकि मैसेजेस का एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन आज पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों तरह की बातचीत के दौरान सुरक्षा के लिए जरुरी माना जाता है. इस कमी की वजह से प्राइवेसी को महत्व देने वाले यूज़र्स के बीच इसे अपनाने में चुनौती आ सकती है.
धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स (X) पर अरट्टाई को “फ्री, आसान, सुरक्षित और भरोसेमंद” बताते हुए नागरिकों से भारतीय ऐप्स अपनाने की अपील की. वहीं अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान यह खुलासा किया कि सरकार की प्रेजेंटेशन इस बार Zoho Show पर तैयार की गई थी, न कि माइक्रोसॉफ्ट पावरपॉइंट पर.
हालांकि अरट्टाई एक विश्वसनीयभारतीय ऑल्टरनेटिव के रूप में सामने आ रहा है, लेकिन भारत में व्हाट्सऐप का दबदबा तोड़ना आसान नहीं है. देश में इसके 500 मिलियन से ज्यादा यूज़र्स हैं और इसका मजबूत नेटवर्क इफेक्ट, एडवांस्ड सिक्योरिटी फीचर्स और बड़े पैमाने पर इंटीग्रेशन इसकी सबसे बड़ी ताकत है.
अगर अरट्टाई को व्हाट्सऐप का ऑल्टरनेटिव बनना है तो जोहो को मैसेजेस के लिए एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन सुनिश्चित करना होगा, अपने यूज़र्स का दायरा बढ़ाना होगा और लगातार नई तकनीकी सुविधाएं जोड़नी होंगी.
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