लगभग-लगभग आधे दशक तक, शाओमी भारत के स्मार्टफोन के बाजार में टॉप कंपनी के तौर पर वर्चस्व जमाए हुए था। 2017 से 2022 तक, चीनी ब्रांड यानि Xiaomi, इसे भारत में चीन के एप्पल के तौर पर भी जाना जाता है, टॉप स्मार्टफोन ब्रांड के तौर पर बाजार पर राज कर रहा था। इसके पीछे के कारण को देखा जाए तो समझा जाए कि आखिर ऐसा क्यों था, तो समझ में आता है कि कंपनी ने कम प्राइस पर सबसे दमदार स्पेक्स वाले फोन्स को उतारा, जिसके कारण यूजर्स को कम प्राइस में वो सब मिल गया, जो उन्हें एक महंगे फोन में ही अभी तक मिल रहा था, इसके अलावा ऑनलाइन बाजार में भी कंपनी ने अपनी न छूटने वाली पकड़ बना ली थी। हालांकि, अब आँकड़े दूसरी दिशा में जाते नजर आ रहे हैं। ऐसा भी कह सकते है कि अब Xiaomi भारत में टॉप से बॉटम की ओर आना शुरू हो गया है, देखने में आ रहा है और कुछ आँकड़े ऐसा संकेत दे रहे हैं कि इंडिया के बाजार में अब Xiaomi (Redmi) की पकड़ ढीली पड़ रही है। हालांकि, केवल इतना ही नहीं, भारत में Xiaomi इतनी तेजी से कैसे गिर रहा है, इसे लेकर और कंपनी को पिछले कुछ सालों में प्रभावित करने वाले कई गंभीर मुद्दे सामने आ रहे हैं। ऐसा सामने आ रहा है कि कंपनी प्रोडक्ट की पोजिशनिंग सही नहीं कर रही है, डिवाइसों की कीमत को भी एक मुद्दा माना जा रहा है, इसके अलावा रिटेलरों के बीच भी कुछ असंतोष देखा जा रहा है।
IDC की एक हालिया रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो किसी समय टॉप पर रहने वाला Xiaomi इस समय भारत के स्मार्टफोन बाजार में 7 वें स्थान पर आ पहुंचा है। इसके अलावा अगर Canalys के लेटेस्ट डेटा पर गौर किया जाए तो यह भी आपको निराश कर सकते हैं। असल में, ऐसा देखा गया है कि शाओमी की शिपमेंट्स Q1 2025 में साल दर साल 38 प्रतिशत घटी है, हालांकि, इसके बाद भी कंपनी ने रेडमी नोट 14 सीरीज़ और शाओमी 15 जैसे बड़े लॉन्च किए। अगर देखा जाए तो किसी भी अन्य ब्रांड के मुकाबले Xiaomi बेहद ही तेजी से गिरावट दर्ज कर रहा है।
Source: Canalys Smartphone Market Pulse (Q1 2025)
वह कंपनी जिसने भारत के स्मार्टफोन बाजार में एक क्रांति को जन्म दिया था, जिसने आपके पैसे कि कीमत को समझा था, और आपको कहीं न कहीं यह दिखाया था कि आखिर आपके लिए बेस्ट वैल्यू क्या हो सकती है, आप अपने लिए एक सही जगह की तलाश में जुटी है। इस समय कंपनी भारत के स्मार्टफोन बाजार में संघर्ष के दौर से गुजर रही है। सवाल यही उठता है कि कुछ समय पहले तक जिस ब्रांड ने भारत के स्मार्टफोन बाजार में मानो अपनी नई क्रांति से तहलका मचाया हुआ था, आज उसके साथ ऐसा क्या गलत हो रहा है? डिजिट ने कुछ जाने माने उद्योग विश्लेषकों, बाजार विशेषज्ञों, और रिटेल इनसाइडर्स के साथ इस मुद्दे को लेकर बातचीत की है। इस बातचीत से कुछ मुद्दे और कारण सामने आ रहे हैं, जो कहीं न कहीं इस बात पर कुछ प्रकाश डालते हैं कि आखिर भारत के स्मार्टफोन बाजार में Xiaomi (Redmi) के साथ क्या गलत हो रहा है। आइए बारीकी से इन मुद्दों को समझते हैं।
शाओमी आंकड़ों के अनुसार भारत में 2017 से 2022 तक टॉप पर रहा, हालांकि अब इसकी प्रसिद्धि कम हो रही है, ऐसा भी कह सकते है कि यह पतन की ओर अग्रसर है। आपको जानकारी के लिए बता देते है कि रेडमी नोट 14 सीरीज़ और शाओमी 15 जैसे फ्लैगशिप फोन्स के लॉन्च के बाद भी कंपनी का मार्केट शेयर केवल 12 प्रतिशत ही रह गया है, इस गिरावट के बाद ही कंपनी पहले स्थान से तीसरे स्थान पर पहले आई, और इसके बाद अगर लेटेस्ट आंकड़ों को देखा जाए तो इस समय भारत के स्मार्टफोन बाजार में यह 7वें स्थान पर आ पहुंची है।
IDC इंडिया के एसोसिएट वाइस प्रेसीडेंट नवकेन्द्र सिंह की मानें तो वह इसे कारकों के परिणाम के तौर पर देख रहे हैं, उनका कहना है कि, “2024 में कंपनी को इन्वेंट्री समस्याओं का सामना करना पड़ा और 2025 में लॉन्च किए गए नए मॉडल्स को ज्यादा अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली।” हालांकि, इस बीच में कंपनी के कुछ अन्य प्रतिद्वंदी, जैसे विवो ने “कई क्वार्टर से आगे बढ़ना जारी रखा है, कंपनी ने ऑफलाइन बाजार में और वॉल्यूम-आधारित मास सेगमेंट को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कई बड़े कदम उठायें हैं।”
शुभम सिंह, काउंटरपॉइंट टेक्नोलॉजी मार्केट रिसर्च के रिसर्च एनालिस्ट ने भी Xiaomi की इस गिरावट की पुष्टि कर दी है। वह कहते हैं कि, “शाओमी ने Q1’25 में साल दर साल 37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है, मुख्य रूप से अधिक इन्वेंट्री के कारण, शाओमी ने स्टॉक क्लीयरेंस पर ध्यान ज्यादा दिया है। हाल ही में लॉन्च हुए जैसे रेडमी नोट 14 सीरीज़, रेडमी 14C 5G और A4 5G के बावजूद यूजर्स का ध्यान कंपनी ओर कम ही आया है। ब्रांड को अब भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, खासकर प्रतिस्पर्धा के बढ़ने से कंपनी ज्यादा दिक्कतों में आई है।”
शाओमी के पतन के एक सबसे बड़े कारण को देखा जाए तो यह कंपनी की भ्रमित कर देने वाली ब्रांड पोजिशनिंग है। परंपरागत रूप से, रेडमी एक ऐसा ब्रांड है जो आपको कम प्राइस में सबसे अच्छे डिवाइस देने के लिए अभी तक जाना जा रहा था। हालांकि, जैसा कि TechARC के मुख्य विश्लेषक Faisal Kawoosa ने बताया, शाओमी की रेडमी को प्रीमियम बनाने की कोशिश उलटी पड़ गई है।
Kawoosa कहते हैं कि, “रेडमी ‘वैल्यू फॉर मनी’ पोजिशनिंग के लिए जाना जाता था। जैसे ही ब्रांड ने बिना किसी तैयारी के इसे प्रीमियम बनाने की कोशिश की, उसे पोजिशनिंग की लड़ाई हारनी पड़ी।” उन्होंने यह भी कहा है कि, “प्रीमियम प्राइस आदि के लिए ब्रांड ट्रस्ट आदि की आवश्यकता होती है, जिसके लिए इस समय रेडमी तैयार नहीं है।”
टेक विश्लेषक और बाजार विशेषज्ञ योगेश ब्रार इस बात से कहीं न कहीं सहमत हैं कि इस प्रीमियमाइजेशन प्रयास ने ब्रांड को एक खंडित पहचान दी है, जो “अपने बजट रूट्स (रेडमी/पोको)” और “प्रीमियम आकांक्षाओं (शाओमी सीरीज़)” के बीच फंसी हुई है, इसी कारण यूजर्स कहीं न कहीं भ्रमित हो रहे हैं, इसी के चलते ब्रांड की छवि खराब होती जा रही है।
साइबरमीडिया रिसर्च (CMR) में इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप VP प्रभु राम बताते हैं कि, “शाओमी वर्तमान में एक ब्रांड रीअलाइनमेंट और पुनर्निर्माण प्रक्रिया से गुजर रहा है, और उसकी हालिया प्रीमियम रणनीति सकारात्मक परिणाम दिखाना शुरू कर रही है,” कंपनी को इस समय “अपनी मार्केटिंग और कम्यूनिकेशन को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि ब्रांड की महत्ता बढ़े, खासकर जन Z उपभोक्ताओं के बीच।”
अगर सही मायने में देखा जाए तो शाओमी को अपनी ऑनलाइन सफलता को फिज़िकल रिटेल स्टोरों में बदलने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, हालांकि, अगर प्रतिद्वंदीयों को देखाये तो विवो, ओप्पो, और यहां तक कि मोटोरोला ने इस अवसर को कहीं न कहीं भुना लिया है और ऑफलाइन बाजार में अपनी पकड़ को मजबूत करना शुरू कर दिया है। इसी कारण Xiaomi के मुकाबले इन सभी ब्रांडस ने भारत में यूजर्स को बड़े पैमाने पर प्रभावित करना सभी शुरू कर दिया है।
योगेश ब्रार, एक टेक विश्लेषक और बाजार विशेषज्ञ, “2025 एक ‘चैनल-ड्रिवन’ साल है, कह रहे हैं, जहां ऑफलाइन एक्सक्यूशन शेयर आदि को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर जब मांग कमजोर है।” वह यह भी कहते हैं कि “शाओमी की ऐतिहासिक ऑनलाइन ताकत अब उतनी फायदेमंद नहीं है क्योंकि यह विवो जैसे प्रतियोगियों से ऑफलाइन चैनलों में कमजोरियों का सामना कर रहा है।”
IDC के नवकेन्द्र सिंह के अनुसार, “वीवो को देखा जाए तो यह कई कॉर्टर से केवल और केवल बढ़ने पर है, इसके पास वॉल्यूम-ड्रिवन मास सेगमेंट में मजबूत उपस्थिति है और एक शक्तिशाली ऑफलाइन चैनल भी है।”
सबसे चौंकाने वाली जानकारी AIMRA (ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन) के संस्थापक अध्यक्ष कैलाश Kailash Lakhyani से मिली, जिन्होंने यह खुलासा किया कि रीटेलर्स शाओमी के भारतीय बाजार में संचालन से खुश नहीं हैं।
उन्होंने यह भी कहा है कि, “शाओमी टीम द्वारा रीटेलर्स के साथ कम बातचीत हो रही है। शाओमी के प्रमोटर्स का मनोबल भी कम होता जा रहा है, उनकी सैलरी भी कम है, और उनके इन्सेनटिव्स भी कम हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि, Vivo और Oppo के साथ रीटेलर्स को अच्छा मार्जन मिल रहा है, इसलिए स्वाभाविक रूप से वे इन ब्रांड्स को अधिक बढ़ावा दे रहे हैं।”
जो रिटेलर पहले शाओमी के प्रति उत्साहित थे, अब वे इसे ब्यूरोक्रेटिक, प्रतिक्रिया देने में धीमा, और जमीनी वास्तविकताओं से दूर देख रहे हैं। Kailash Lakhyani के अनुसार, शाओमी की ज्यादा कीमतें, “पुल मॉडल्स” की कमी, और जटिल डीलर प्रोत्साहन इसके महत्वपूर्ण वितरण आधार को विदेशी बना चुके हैं।
Kawoosa कहते हैं कि, “आज के समय में किसी भी ब्रांड को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों पर समान रूप से ध्यान केंद्रित करना होगा, क्योंकि इन दोनों ने संतुलन स्थापित किया है और ये वॉल्यूम के हिसाब से लगभग समान व्यापार में योगदान कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा है कि, “पिछले कुछ वर्षों से यह शाओमी के लिए एक अंतर रहा है।”
Kailash Lakhyani शाओमी के अपने रिटेल साझेदारों के साथ संबंधों की एक नकारात्मक तस्वीर पेश करते हैं:
वे कहते हैं कि, “2024 से AIMRA – ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन के साथ शाओमी का संबंध खराब हो गया है, इसलिए वे [शाओमी] जमीनी हकीकत और सही इनपुट्स नहीं पा रहे हैं, जो AIMRA वीवो, ओप्पो और रियलमी को देती है।”
इसके अलावा वह यह भी खुलासा करते हैं कि, “उपभोक्ता शाओमी के 15,000 रुपये से ऊपर के प्रोडक्टस में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन वे वीवो और ओप्पो के Y-सीरीज, V-सीरीज और T-सीरीज जैसे डिवाइस खरीद रहे हैं, जबकि ओप्पो A-सीरीज, K-सीरीज और F-सीरीज की भी शानदार सेल हो रही है।”
Kailash Lakhyani ने शाओमी की रिटेल रणनीति में हुई कुछ गलतियों का विस्तार से वर्णन किया है। वह कहते हैं कि, “रीटेलर्स कुल मिलाकर लगभग 300 यूनिट्स की सेल करते हैं, जिसमें शाओमी का मार्जिन 9% है और वीवो/ओप्पो का मार्जिन 13% है, तो 4% का अंतर ही है जिसकी वजह से रीटेलर्स ओप्पो और वीवो में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।”
यह महत्वपूर्ण मार्जिन का अंतर रीटेलर्स के लिए अन्य ब्रांडस को प्राथमिकता देने के लिए एक स्पष्ट वित्तीय प्रोत्साहन के तौर पर देखा जा सकता है।
यह अंतर छोटे रीटेलर्स में भी बना रहता है: “छोटे रीटेलर्स शाओमी और वीवो/ओप्पो की लगभग 100 यूनिट्स की सेल करते हैं, जिसमें शाओमी का मार्जिन 7% और ओप्पो/वीवो का मार्जिन 9% है।”
इसके अलावा, Kailash Lakhyani ने एक अनूठी कड़ी रणनीति का भी उल्लेख किया जो रिटेल पार्टनर्स को अलग कर देती है:
वह कहते हैं कि, “शाओमी की एक अनोखी सेल-इन और सेल-आउट रणनीति है, जिसे कोई और कंपनी नहीं अपनाती। उदाहरण के लिए, यदि किसी आउटलेट का सेल-आउट 10 लाख रुपये है, तो उसे स्कीम के भुगतान के लिए 8 लाख रुपये का सेल-इन हासिल करना होगा; अन्यथा, डीलर को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।”
अभी तक के लिए हम सभी जानते थे कि Xiaomi बड़े पैमाने पर इंडिया के Tier 2 और Tier 3 शहरों में राज करती थी, हालांकि अब कंपनी की पकड़ यहाँ पर भी ढीली पड़ रही है। असल में, अब यहाँ Motorola, Lava और Infinix जैसे ब्रांडस अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।
विवो ने उसी समय अवधि के दौरान 13 प्रतिशत की YoY वृद्धि हासिल की है, जबकि शाओमी 38 प्रतिशत गिरावट का सामना कर रहा था। तो, इसके पीछे क्या समस्या क्या कारण हो सकता है, आइए जानते हैं।
कावोसा समझाते हैं कि “रोम एक दिन में नहीं बना था।” वह कहते हैं कि, “विवो ने भारत में कदम रखने के बाद से ऑफलाइन बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश किया है, जो लगभग एक दशक पहले शुरू हुआ था। शाओमी शुरू के 6 सालों तक मुख्य रूप से ऑनलाइन था। इसलिए, इसमें समय लगता है।”
ब्रार विवो की सफलता के सूत्र का और अधिक विस्तार से विश्लेषण करते हैं। वे बताते हैं कि विवो ने एक संतुलित ऑनलाइन-ऑफलाइन रणनीति के माध्यम से सफलता हासिल की है, जिसमें मजबूत रिटेल उपस्थिति भी शामिल है। वे यह भी बताते हैं कि विवो ने चैनल संबंधों को व्यवस्थित तरीके से मजबूत किया, जो शाओमी के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है।
भारत का स्मार्टफोन बाजार वर्ष 2025 में वॉल्यूम के लिहाज़ से स्थिर रहने की उम्मीद है, लेकिन प्रीमियम प्रोडक्टस की ओर बढ़ते रुझान के कारण इसकी वैल्यू में वृद्धि हो रही है। फोन बदलने के चक्र अब औसतन 22 महीनों तक खिंचते जा रहे हैं, और आर्थिक चुनौतियों ने खरीदारों को पहले से ज्यादा सतर्क बना दिया है। ऐसे माहौल में शाओमी के सामने चुनौतियाँ जरूर हैं, लेकिन वापसी असंभव नहीं है।
“शाओमी को Redmi और Xiaomi ब्रांड्स के लिए अलग-अलग राह तय करनी होगी।”
— Faisal Kawoosa, चीफ एनालिस्ट, TechARC
Kawoosa का सुझाव है कि शाओमी को अपने दोनों ब्रांड्स की अलग पहचान बनाए रखनी चाहिए। वे कहते हैं, “Redmi और Xiaomi के लिए अलग राह तय करनी होगी, जो उनके सेगमेंट के अनुरूप ब्रांड की स्थिति और उपभोक्ता अनुभव को सही ठहराए।”
प्रभु राम, साइबरमीडिया रिसर्च (CMR) के इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप के उपाध्यक्ष, शाओमी की प्रीमियम रणनीति में उम्मीद देखते हैं लेकिन ज़ोर देते हैं कि “ब्रांड की पहचान और विशेषकर Gen Z उपभोक्ताओं के बीच प्रभाव बढ़ाने के लिए मार्केटिंग और कम्युनिकेशन को बहुत मज़बूत करना होगा।”
योगेश ब्रार के अनुसार, शाओमी को तुरंत ये कदम उठाने चाहिए:
रिटेलर रिलेशनशिप को फिर से बनाना और अतिरिक्त इन्वेंट्री साफ़ करना, मिड-प्रीमियम प्रोडक्टस बनाना, बाज़ार में बदलाव के अनुसार लचीले फाइनेंस विकल्प देना, और एक मजबूत मैसेजिंग तैयार करना, जिससे उपभोक्ता जान सकें कि उन्हें शाओमी को क्यों चुनना चाहिए।
हमने इस विषय पर Xiaomi से प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किया, लेकिन इस लेख प्रकाशित करने तक हमें Xiaomi की ओर से कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है।
(नोट: विश्लेषकों की टिप्पणियों और कॉट्स को आपको स्पष्टता देने के लिए एडिट किया गया है।)