भारत में WhatsApp और Telegram जैसे मैसेजिंग ऐप इस्तेमाल करने वालों के लिए जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक नया नियम लागू करने की तैयारी की है जिसके तहत अब इन ऐप्स पर SIM-based login verification यानी SIM binding कंपलसरी कर दिया जाने वाला है। इस नियम के प्रभाव में आने के बाद यूज़र्स को वही एक्टिव SIM कार्ड अपने फोन में रखना होगा, जिससे उन्होंने ऐप पर रजिस्ट्रेशन किया था, वरना अकाउंट एक्सेस प्रभावित हो सकता है।
यह निर्देश TCS Rules 2024 में संशोधन के तौर पर जारी किया गया है, जिसके अनुसार हर अकाउंट के लिए लगातार 90 दिनों तक SIM validation जरूरी होगी ताकि यूज़र की पहचान हमेशा टेलिकॉम सब्सक्राइबर रिकॉर्ड से जुड़ी और वेरीफिकेशन आदि बनी रहे। DoT का कहना है कि इस कदम का मुख्य उद्देश्य WhatsApp, Telegram और दूसरे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ते फ्रॉड और साइबर स्कैम को रोकना है, क्योंकि कई मामलों में बंद या फर्जी नंबरों से अकाउंट चलाकर अपराध किए जा रहे हैं।
नया नियम लागू होने पर जिन यूज़र्स के अकाउंट ऐसे नंबरों से जुड़े हैं जो अब एक्टिव नहीं हैं, वे सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। यह आदेश सभी Telecommunication Identifier User Entities पर लागू होगा, जिनमें WhatsApp, Meta Messenger, Signal, Snapchat, Telegram, Josh, JioChat जैसे प्लेटफॉर्म आदि शामिल हैं। कंपनियों को इस व्यवस्था को लागू करने के लिए 90 दिनों की समय-सीमा दी गई है, और जो लोग इन ऐप्स को लैपटॉप या दूसरे डिवाइस पर इस्तेमाल करते हैं, उनसे समय-समय पर अतिरिक्त ऑथेंटिकेशन भी मांगा जा सकता है। यूज़र के लिहाज से नियम काफी सीधा है, बस उस SIM को एक्टिव रखें जिससे आपने अकाउंट रजिस्टर किया था, ताकि बिना किसी रुकावट के चैटिंग सेवाओं का इस्तेमाल जारी रह सके।
सरकार का कहना है कि SIM binding जैसे नए नियमों का मकसद देश में तेजी से बढ़ते साइबर फ्रॉड पर लगाम लगाना और यूज़र्स को ऑनलाइन ठगी के तरीकों से सुरक्षित रखना है। अधिकारियों के अनुसार, जब हर अकाउंट एक एक्टिव और वेरीफायड SIM से जुड़ा रहेगा, तो फर्जी पहचान बनाकर अपराध करना मुश्किल हो जाएगा और स्कैम करने वालों तक पहुंचना आसान होगा। इस लिहाज से यह फैसला सुरक्षा के नजरिये से अहम माना जा रहा है।
हालांकि दूसरी ओर, यह बदलाव करोड़ों WhatsApp यूज़र्स के लिए परेशानी भी बन सकता है। जो लोग Wi-Fi पर चलने वाले टैबलेट या ऐसे पुराने फोन इस्तेमाल करते हैं जिनमें एक्टिव SIM नहीं है, वे अब इन डिवाइस पर WhatsApp का सीधा इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। हालांकि, ऐसा तब तक नहीं किया जा सकता है, जब तक कि ऐप्स भविष्य में टैबलेट के लिए QR-कोड आधारित अलग लॉगिन सिस्टम नहीं लाते या फिर यूज़र केवल WhatsApp Web का सहारा न लें। इसी तरह, एक ही नंबर से कई डिवाइस पर ऐप चलाने की सुविधा भी लगभग खत्म हो सकती है, जब तक कि नए लॉगिन फीचर पेश नहीं किए जाते।
इस नए बदलाव का सबसे बड़ा असर WhatsApp Web पर दिखाई देने वाला है। नए नियम के तहत वेब वर्ज़न अब लगातार लंबे समय तक फोन से जुड़ा नहीं रह पाएगा। हर छह घंटे में ऑटो-लॉगआउट हो जाएगा, चाहे ब्राउज़र खुला ही क्यों न हो। दोबारा चैटिंग शुरू करने के लिए यूज़र को अपने फोन से फिर से QR कोड स्कैन करना होगा। यानी जहां अब तक एक बार कनेक्ट होने के बाद दिनभर वेब पर काम होता रहता था, वहां आगे चलकर बार-बार लॉगिन की झंझट झेलनी पड़ सकती है।
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