भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने हाल ही में दूरसंचार विभाग (DoT) के एक अहम प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत आपके फोन पर आने वाली हर कॉल में कॉलर के नंबर के साथ साथ अब इसका नाम भी दिखा देने वाला है। इस नई सुविधा को कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) कहा जा रहा है, जिसका उद्देश्य स्पैम कॉल्स, फ्रॉड और साइबर अपराधों को पूरी तरह से रोकना है। 28 अक्टूबर 2025 को TRAI ने DoT के बैक-रेफरेंस पर अपनी औपचारिक सहमति देते हुए यह कदम उठाया है।
अभी तक जब कोई कॉल आती है, तो स्क्रीन पर सिर्फ नंबर दिखाई देता है, और अगर वह नंबर आपके कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव नहीं है तो यह आपको अननॉन नंबर के तौर पर दिखाई देता है। लेकिन CNAP लागू होने के बाद कॉलर के वेरीफिकेशन के लिए और उसके नाम के वेरीफिकेशन के लिए, नंबर के साथ उसका नाम भी दिखा दिया जाना चाहिए, यह नाम वही होगा जो SIM रजिस्ट्रेशन के समय KYC के बाद दर्ज करवाया गया था। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई अनजान नंबर से कॉल करता है, तो अब केवल नंबर ही नहीं बल्कि ‘राजा’ एक व्यक्ति या अगर यह किसी कंपनी से आ रहा है तो उस कंपनी का नाम फोन की स्क्रीन पर कॉल आने के दौरान नजर आने वाला है।
तकनीकी स्तर पर इस सुविधा को लागू करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों जैसे Jio, Airtel और Vodafone-Idea को अपना खुद का कॉलिंग नेम डेटाबेस (CNAM) बनाना होगा। इस डेटाबेस में सभी सब्सक्राइबर्स के वेरीफिकेशन किए हुए नाम और नंबर लिंक किए जाने चाहिए। इसके बाद जब कोई कॉल आएगी, तो रिसीविंग नेटवर्क लोकल नंबर पोर्टेबिलिटी डेटाबेस (LNPD) के माध्यम से उस नाम को खोजकर स्क्रीन पर दिखाएगा। इस प्रक्रिया के बाद अब कॉलर पहचानने के लिए Truecaller जैसे थर्ड-पार्टी ऐप्स की जरूरत नहीं रहेगी, क्योंकि यह सुविधा सीधे बेसिक टेलीकॉम सर्विस में शामिल होगी।
यह फीचर सभी यूजर्स के लिए डिफ़ॉल्ट रूप से एक्टिवेटेड रहेगा, हालांकि प्राइवेसी की दृष्टि से यूजर्स को ऑप्ट-आउट करने का ऑप्शन भी दिया जाने वाला है। अगर कोई व्यक्ति चाहता है कि उसका नाम कॉल रिसीवर को न दिखे, तो वह अपने सर्विस प्रोवाइडर (TSP) से इसे बंद करने का अनुरोध कर सकता है। वहीं, सुरक्षा एजेंसियों, इंटेलिजेंस अधिकारियों या VIP यूजर्स जिनके पास CLIR (Calling Line Identification Restriction) एक्टिव है, उनके नाम डिस्प्ले नहीं किए जाएंगे। बिजनेस या टेलीमार्केटर्स के लिए कंपनी का सत्यापित ट्रेडमार्क नाम दिखाया जाएगा, लेकिन इसके लिए सरकारी वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा।
CNAP को लागू करने की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई क्योंकि भारत में स्पैम और फ्रॉड कॉल्स की समस्या तेजी से बढ़ रही है। TRAI के अनुसार, रोजाना लाखों फर्जी या धोखाधड़ी वाली कॉल्स की जाती हैं, जिनका संबंध आर्थिक ठगी, डिजिटल अरेस्ट स्कैम्स और ऑनलाइन फ्रॉड से होता है। CNAP की मदद से यूजर को कॉल रिसीव करने से पहले यह तय करने में आसानी होगी कि कॉल असली है या नहीं। TRAI का मानना है कि इससे न केवल स्पैम कॉल्स में भारी कमी आएगी बल्कि डिजिटल ट्रस्ट भी मजबूत होगा।
इस सुविधा को फेज़ वाइज तरीके से लागू किया जाएगा। शुरुआत में इसे 4G और 5G नेटवर्क पर लॉन्च किया जाएगा और बाद में 2G/3G नेटवर्क तक बढ़ाया जाने वाला है। DoT जल्द ही सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को इस संबंध में दिशानिर्देश जारी कर सकती है। योजना के अनुसार, आने वाले हफ्ते में कम से कम एक सर्कल में इसका पायलट लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद इसे पूरे देश में धीरे धीरे इस सेवा को शुरू कर दिया जाने वाला है।
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