क्या आप जानते हैं कि 2024 के शुरुआती चार महीनों में ही भारतीयों ने ऑनलाइन स्कैम्स में 16,000 करोड़ रुपये से ज्यादा गंवा दिए? यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, लेकिन हम में से ज्यादातर लोग सोचते हैं, ‘मेरे साथ ऐसा नहीं हो सकता.’ अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं, तो आप गलत हैं.
पुलिस ऑफिसर से लेकर साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट तक, हर कोई इन स्कैम्स का शिकार हो चुका है. ऐसा इसलिए क्योंकि धोखेबाज आपके कंप्यूटर को नहीं, बल्कि आपके दिमाग को हैक करते हैं. वे आपकी psychology का इस्तेमाल करते हैं. आइए जानते हैं स्कैमर्स के उन मनोवैज्ञानिक हथियारों के बारे में और आप उनसे कैसे बच सकते हैं.
स्कैमर का एकमात्र लक्ष्य होता है आपको झांसा देकर आपके पैसे या कीमती जानकारी निकलवाना. इसके लिए वे कुछ क्लासिक मनोवैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं.
लालच और जरूरत (Need and Greed): सबसे पहले, वे आपकी किसी जरूरत या लालच पर वार करते हैं. इन्वेस्टमेंट स्कैम में वे कम समय में पैसे डबल करने का वादा करते हैं, तो रोमांस स्कैम में प्यार का.
अथॉरिटी का डर (Authority Principle): आपने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के बारे में सुना होगा? इसमें स्कैमर CBI, ED या RBI का बड़ा अधिकारी बनकर आपको डराता है और आप डर के मारे वही करते हैं जो वह कहता है.
दया की भावना (Kindness Principle): कई बार वे किसी झूठी चैरिटी या बीमार बच्चे के नाम पर आपसे डोनेशन मांगते हैं, और आप दया में आकर पैसे दे देते हैं.
FOMO यानी छूट जाने का डर (Herd Principle): ‘यह लिमिटेड टाइम ऑफर है!’, ‘सिर्फ 2 टिकट बचे हैं!’ – ऐसी बातें कहकर वे आप पर जल्दी फैसला लेने का दबाव बनाते हैं, ताकि आपको सोचने का मौका ही न मिले.
थोड़ी सी बेईमानी का लालच (Dishonesty Principle): कई बार वे आपको थोड़ा सा गलत काम करने के लिए उकसाते हैं, जैसे कोई पेड सॉफ्टवेयर फ्री में डाउनलोड करने के लिए मैलवेयर इंस्टॉल करवाना.
अब सवाल यह है कि असली ऑफर और स्कैम में फर्क कैसे करें, क्योंकि ऐसे ही तरीके तो सेल्समैन इस्तेमाल करते हैं. अगली बार जब भी आप ऐसी किसी स्थिति में हों, तो खुद से तीन आसान सवाल पूछें.
उदाहरण के लिए, जब आप कोई हॉलिडे बुकिंग कर रहे होते हैं और काउंटडाउन टाइमर आपको जल्दी करने के लिए कहता है, तो वह एक असली ट्रांजैक्शन है. लेकिन जब कोई आपको ‘जिंदगी में एक बार मिलने वाले’ इन्वेस्टमेंट के मौके के लिए तुरंत पैसे ट्रांसफर करने को कहता है, तो वह एक स्कैम है.
यह समझना बहुत जरूरी है कि कोई भी व्यक्ति स्कैम का शिकार हो सकता है. हमारी भावनाएं, हमारे रिश्ते और हमारे विश्वास, हर चीज का फायदा उठाकर हमें मैनिपुलेट किया जा सकता है. असल में, जो लोग यह सोचते हैं कि वे बहुत ‘स्कैम-सैवी’ हैं और उनके साथ धोखा नहीं हो सकता, वे अक्सर ज्यादा जोखिम उठाते हैं और खतरे के संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं. इसलिए, हमेशा सतर्क रहें. ऑस्ट्रेलिया की स्कैमवॉच एजेंसी का ‘Stop. Check. Protect.’ (रुकें. जांचें. सुरक्षित रहें.) का तरीका बहुत मददगार है.