अगर तकनीकी दृष्टिकोण से, ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) को देखा जाए तो भारत की सैन्य तकनीक और रणनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण प्रगति नजर आ रही है। इस समय इंटरनेट के माध्यम से मिल रही रिपोर्ट्स के अनुसार, इस प्रहार में जो भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से किया गया अत्याधुनिक हथियारों और एकीकृत हमले की क्षमता आदि देखने को मिली, इसे हम सभी 1971 के युद्ध के बाद एक अभूतपूर्व कामयाबी के तौर पर भी देख सकते हैं।
जानकारी मिल रही है कि इस ऑपरेशन में सटीक-प्रहार करने वाले हथियारों और प्लेटफॉर्म्स का उपयोग किया गया, जिसमें वायु, थल और मानवरहित प्रणालियों को मिलाकर जोरदार हमले को अंजाम दिया गया। ऑपरेशन सिंदूर में जिन भी तकनीकी और उपकरणों का इस्तेमाल हुआ है, उनके बारे में हम आपको विस्तार से जानकारी देन वाले हैं।
इन मिसाइलों को हम सभी ‘स्टॉर्म शैडो’ के तौर पर भी जानते हैं। ये लंबी दूरी की, हवा में लॉन्च होने वाली क्रूज मिसाइलें राफेल लड़ाकू विमानों से दागी गईं। 500 किमी से अधिक की रेंज और 450 किग्रा विस्फोटक के साथ, स्कैल्प मिसाइलें रडार से बचने के लिए निचली उड़ान भरती हैं और इन्फ्रारेड सीकर का उपयोग कर सटीक निशाना लगाने में सक्षम हैं, इनकी खासियत है कि यह सटीक निशाने पर ही मार करती हैं, इसके अलावा इनके द्वारा आसपास बेहद कम नुकसान होता है। ऐसी ही मिसाइलों का उपयोग रूस-यूक्रेन युद्ध में भी देखा गया है।
फ्रांसीसी कंपनी सैफरान ने इनका निर्माण किया है। हैमर बम जीपीएस, इनर्शियल नेविगेशन और लेजर गाइडेंस का अद्भूत उदाहरण हैं। ये 70 किमी तक की दूरी पर मौजूद बड़ी से बड़ी बिल्डिंग आदि के अलावा गतिशील लक्ष्यों को भी आसानी से नष्ट करने में सक्षम हैं। भारत ने इनका इस्तेमाल आतंकवादी ट्रेनिंग कैंपों और अन्य कई बहुमंजिला इमारतों को नष्ट करने के लिए किया है।
ये आत्मघाती ड्रोन लक्ष्य के ऊपर मंडराने और सटीक हमला करने में सक्षम हैं। इन्हें सटीकता और लचीलापन बढ़ाने के लिए उपयोग किया गया, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ बहु-दिशात्मक हमले संभव हुए।
भारतीय सेना ने M777 हल्की हॉवित्जर तोपों से एक्सकैलिबर 155 मिमी सटीक-निर्देशित गोले दागे, जो रीयल-टाइम जीपीएस और ड्रोन-आधारित निशाना प्रणाली के साथ काम करने के लिए ही डिजाइन किये गए हैं।
इस मिशन में भारतीय वायुसेना ने अपने टॉप राफेल लड़ाकू विमानों का उपयोग किया, जो स्कैल्प क्रूज मिसाइलों और हैमर सटीक-निर्देशित बमों से लैस थे। इस ऑपरेशन को आप भारत के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देख सकते हैं, विशेष रूप से, ये हमले 2019 के बालाकोट ऑपरेशन की तुलना में कहीं अधिक सटीक थे, जो भारत की आतंकवाद-विरोधी रणनीति में स्पष्ट उन्नति को दर्शाते हैं।