इस समय को देश का डिजिटल युग कहें तो कोई गुरेज वाली बात नहीं है. यह बात दुनिया पर भी लागू होती है, आज दुनिया के हर व्यक्ति के लिए स्मार्टफोन, टीवी, लैपटॉप के साथ साथ स्मार्ट गैजेट एक जरूरत लगने लगे हैं. हालाँकि, कुछ गैजेट सस्ते होते हैं तो आप ज्यादा सोच विचार के इन्हें खरीद लेते हैं हालाँकि, कुछ गैजेट कुछ ज्यादा ही महंगे प्राइस में आते हैं. ऐसे में इन्हें खरीदना कई बार एक ही बार की पेमेंट में मुश्किल हो जाता है, असल में सभी की जेब का साइज़ अलग अलग होता है. ऐसे में इन प्रोडक्ट्स को पसंद आने के बाद आखिर घर पर कैसे लाया जाए? इस समस्या का हल EMI ऑप्शन से हो जाता है. हालाँकि, क्या आप जानते हैं कि EMI दो प्रकार की होती है. आपने शायद अभी तक इसे ज्यादा ध्यान से सोचा नहीं होगा. आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देने के लिए आये हैं. असला में, EMI के दो प्रकार No Cosr EMI और Regular EMI के तौर पर जाने जाते हैं. आइये समझते हैं कि आखिर दोनों के बीच में क्या अंतर होता है.
आइये दोनों प्रकारों के बारे में समझने से पहले समझते हैं कि आखिर EMI होती क्या है. इसे आप Equated Monthly Installment के तौर जानते हैं. अब इसका मतलब है कि, अगर आप कोई समस्या खरीदने ऑनलाइन या ऑफलाइन बाजार का रुख करते हैं और आपके पास किसी प्रोडक्ट के पसंद आने के बाद उसे खरीदने के लिए पूरे पैसे नहीं होते हैं तो आप कुछ अमाउंट शुरुआत में देकर उस प्रोडक्ट को आसान मासिक किस्तों में अपने घर ले सकते हैं. इसका मतलब है कि अगर आपने 20000 रुपये का कोई प्रोडक्ट लिया है तो इसके लिए आपको खरीदते समय केवल और केवल कुछ पैसे देकर बाकी के अमाउंट को महीने में देने का फायदा मिलता है. हालाँकि, आपको कुछ ब्याज इस समय के लिए देना पड़ सकता है.
प्रकार आपको हम ऊपर बता ही चुके हैं कि EMI दो प्रकार की होती है, आप इसे No Cost EMI के अलावा Regular EMI के तौर पर जानते हैं. आइये अब एक एक करके इन्हें समझते हैं कि आखिर यह होती क्या हैं.
No Cost EMI इन दिनों सभी को आकर्षित कर रही है, इसका यह मतलब है कि अगर उदाहरण के लिए मानकर चलिए कि iPhone 16 की कीमत 80000 रुपये के आसपास है तो आप किस्तों में इसे केवल और केवल 80000 रुपये में ही खरीद सकते हैं. इसका मतलब है कि आपको न तो ब्याज देना पड़ रहा है और न ही अलग से कोई अन्य अमाउंट. हालाँकि, कई बार प्रोडक्ट पर मिलने वाली छूट जो अलग से दी जा रही है. वह No Cost EMI पर नहीं मिलती है.
यहीं पर कैच होता है, उदाहरण के लिए किसी प्रोडक्ट की कीमत मानकर चलिए कि 80000 रुपये है, लेकिन किसी प्लेटफार्म पर इसपर 5000 रुपये की छूट दी जा रही है. अब अगर आप No Cost EMI का आप्शन चुनते हैं तो आपको अलग से ब्याज दो नहीं देना पड़ता है लेकिन यह 5000 रुपये आपको छूट के तौर पर नहीं दिए जाते हैं, ऐसे में आप इसे ब्याज के तौर पर दिया जाने वाला पैसा मान सकते हैं. इसका मतलब है कि No Cost EMI में भी आपको कई बार ब्याज देना पड़ सकता है.
आइये अब जानते है कि आखिर Regular EMI क्या होती है, यह कैसे काम करती है.
इस EMI ऑप्शन में आपको किसी भी प्रोडक्ट की खरीद पर पहले से ही तय EMI देनी होती है, जिसमें ब्याज से लेकर मूल सभी कुछ शामिल होता है. इस EMI में प्रोसेस पूरी तरह से ट्रांसपेरेंट होता है, इसका मतलब है कि आपको पहले से ही पता होता है कि आपको कितना ब्याज और कितना मूल देना है. उदाहरण के लिए अगर आप एक 80000 रुपये के प्राइस का प्रोडक्ट खरीदते हैं तो आपको इसपर अलग से 5000 रुपये से 10000 रुपये तक देने पड़ सकते हैं. इसके बारे में आपको पहले से ही बता दिया जाता है. यह 6 महीने, 9 महीने या 12 महीने की क़िस्त के तौर पर अदा की जा सकती है.
आप अपनी सहूलियत के अनुसार किसी का भी चुनाव कर सकते हैं, आपको दोनों में ही ब्याज देना होता है, कोई भी EMI ऑप्शन आपके लिए रेवड़ी वाला ऑप्शन नहीं है. हालाँकि, अगर आप एडवांस में कोई पेमेंट नहीं करना चाहते हैं तो आपके लिए No Cost EMI ऑप्शन अच्छा हो सकता है, लेकिन अगर आप एक छोटा अमाउंट देकर बाकी पैसे को क़िस्त में बदलना चाहते हैं तो आप Regular EMI का चुनाव कर सकते हैं. यह पूरी तरह से आपकी जेब पर निर्भर करता है.
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