मई की शुरुआत के साथ ही देश के कई हिस्सों में तापमान 45°C से 49°C तक पहुंच चुका है। भीषण गर्मी के चलते लोग घरों को ठंडा रखने के लिए एसी और कूलर जैसे विकल्पों की तलाश में हैं। हालांकि, हर कोई एयर कंडीशनर नहीं खरीद सकता, ऐसे में कूलर अब ज्यादातर घरों की ज़रूरत बन चुके हैं।
बाज़ार में प्लास्टिक और मेटल बॉडी वाले कूलर अलग-अलग डिज़ाइन, साइज़ और फीचर्स के साथ उपलब्ध हैं। लेकिन सवाल ये है कि दोनों में से कौन-सा विकल्प ज्यादा प्रभावी है?
न्यूज18 के अनुसार, मध्यप्रदेश के खरगोन के एक कूलर निर्माता और विक्रेता नीरज राठौड़ ने बताया कि इस गर्मी में मेटल बॉडी वाले कूलर एक बार फिर लोकप्रिय हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में प्लास्टिक कूलर अपनी कम कीमत, हल्के वजन और आकर्षक डिज़ाइन की वजह से ज़्यादा बिके, लेकिन बहुत ज्यादा गर्म जगहों पर मेटल कूलर ज्यादा असरदार साबित हो रहे हैं।
मेटल कूलर की खूबियां और कमियां
ज़बरदस्त कूलिंग: मेटल कूलर का साइज़ बड़ा होता है और इनकी फैन मोटर तेज होती है, जिससे बड़े कमरों में भी ठंडक जल्दी पहुंचती है।
टिकाऊपन: तेज गर्मी में प्लास्टिक की तरह मेटल नहीं पिघलता या कमजोर नहीं पड़ता, जिससे इसकी उम्र लंबी होती है।
सर्विस और पार्ट्स उपलब्ध: इनके पुर्जे आसानी से मिल जाते हैं और मरम्मत भी आसान होती है।
तेज एयर थ्रो: मेटल के कूलरों में हवा दूर तक पहुंचाने की क्षमता ज्यादा होती है।
हालांकि, मेटल कूलर भारी होते हैं, जिससे इन्हें इधर-उधर ले जाना मुश्किल होता है। इनका डिज़ाइन भी सिंपल होता है और बिजली की खपत ज्यादा होती है। साथ ही ये इन्वर्टर पर भी ज्यादा देर तक नहीं चल पाते।
प्लास्टिक कूलर हल्के और मॉडर्न डिज़ाइन वाले होते हैं, जो घर की सजावट में भी अच्छे लगते हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में इनकी मांग ज़्यादा है क्योंकि ये कम बिजली खर्च करते हैं और इन्वर्टर पर भी बेहतर चलते हैं।
पोर्टेबल: हल्के होने के कारण इन्हें आसानी से एक कमरे से दूसरे कमरे में ले जाया जा सकता है।
डिज़ाइन में वैरायटी: प्लास्टिक कूलर कई रंगों और मॉडर्न स्टाइल में उपलब्ध होते हैं।
ऊर्जा की बचत: इनमें बिजली की खपत कम होती है और ये इन्वर्टर पर लंबा चलने की क्षमता रखते हैं।
सस्ती कीमत: मेटल कूलर की तुलना में प्लास्टिक कूलर की कीमत कम होती है।
लेकिन जब तापमान 45°C से ऊपर चला जाता है, तब प्लास्टिक कूलर उतनी असरदार ठंडक नहीं दे पाते। सस्ते ब्रांड के कूलर तेज धूप में पिघलने या ढांचे के कमजोर होने की समस्या से जूझ सकते हैं। इसके विपरीत, मेटल कूलर ज्यादा गर्मी सहन कर सकते हैं और लंबे समय तक टिकते हैं।
ग्रामीण इलाकों में इन्वर्टर सपोर्ट ज़रूरी
जहां बार-बार बिजली जाती है, वहां प्लास्टिक कूलर फायदेमंद साबित होते हैं। इनकी कम बिजली खपत के कारण ये इन्वर्टर पर भी अच्छी परफॉर्मेंस देते हैं। वहीं, मेटल कूलर ज़्यादा बिजली खाते हैं और इन्वर्टर पर जल्दी बंद हो जाते हैं।
अगर आप अत्यधिक गर्मी वाले इलाके में रहते हैं और तेज कूलिंग चाहते हैं, तो मेटल कूलर बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन अगर बिजली की दिक्कत है या कम बजट में अच्छा विकल्प चाहिए, तो प्लास्टिक कूलर आपके लिए सही रहेगा।
फाईज़ा परवीन डिजिट हिंदी में एक कॉन्टेन्ट राइटर हैं। वह 2023 से डिजिट में काम कर रही हैं और इससे पहले वह 6 महीने डिजिट में फ्रीलांसर जर्नलिस्ट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही हैं, और उनके पसंदीदा तकनीकी विषयों में स्मार्टफोन, टेलिकॉम और मोबाइल ऐप शामिल हैं। उन्हें हमारे हिंदी पाठकों को वेब पर किसी डिवाइस या सेवा का उपयोग करने का तरीका सीखने में मदद करने के लिए लेख लिखने में आनंद आता है। सोशल मीडिया की दीवानी फाईज़ा को अक्सर अपने छोटे वीडियो की लत के कारण स्क्रॉलिंग करते हुए देखा जाता है। वह थ्रिलर फ्लिक्स देखना भी काफी पसंद करती हैं।