भारत का डिजिटल इकोसिस्टम जितनी तेजी से बढ़ रहा है, साइबर क्राइम उतनी ही चालाकी और तकनीकी क्षमता के साथ विकसित हो रहे हैं। हालांकि, हर तरह का स्कैम किसी भी आमजन के लिए खतरनाक है, लेकिन सभी स्कैम में एक सबसे बड़ा स्कैम जो उभर रहा है, उसे आजकल ‘डिजिटल अरेस्ट’ का नाम दिया जा रहा है। यह एक ऐसा स्कैम है, जो न केवल आम लोगों को ठग रहा है, बल्कि वरिष्ठ नागरिकों से लेकर पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स तक को लाखों रुपये गंवाने पर मजबूर कर रहा है। आज की डिजिटल दुनिया में यह ठगी कानून, तकनीक और मनोविज्ञान, तीनों को मिलाकर लोगों को डर, घबराहट और भ्रम में धकेल रही है।
इस स्कैम का तरीका चौंकाने वाला है। ठग खुद को CBI, ED, कोर्ट या पुलिस का बड़ा अधिकारी बताकर किसी एक आमजन को कॉल करते हैं। कॉलर ID को भी इस तरह से सेट किया जाता है कि लगे मानो किसी सरकारी विभाग से कॉल आया है। फिर कहा जाता है कि आपका नाम किसी गंभीर अपराध जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स केस, या पासपोर्ट फ्रॉड में शामिल है और अभी तुरंत आपका बैंक खाता फ्रीज़ होने वाला है, या आपके खिलाफ वारंट जारी होने वाला है।
यही वही समय होता है जब स्कैमर्स अपना दांव चल देते हैं। डर की स्थिति में व्यक्ति बिना सोचे-समझे ‘क्लीनिंग फीस’, ‘सिक्योरिटी डिपॉज़िट’ या ‘जांच शुल्क’ के नाम पर कॉल कर रहे व्यक्ति को ट्रांसफर कर देता हैं। AI-जनरेटेड डॉक्यूमेंट, वीडियो कॉल पर नकली अधिकारी, फेक केस नंबर, डीपफेक और विदेशी नंबर। आजकल के डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग्स ऐसा भ्रम पैदा करते हैं कि सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो जाता है।
2024 तक, I4C ने 59,000 से अधिक व्हाट्सऐप अकाउंट ब्लॉक किए, जो इस तरह की ठगी में इस्तेमाल किए जाते थे। यह आंकड़ा बताता है कि खतरा कितना बड़ा है और क्यों यह स्कैम अब राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन चुका है। 2025 में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, और निरंतर इनमें इजाफा हो रहा है।
डिजिटल अरेस्ट को रोकने में कई लेवल पर चुनौतियाँ सामने आती हैं:
कोई भी सरकारी एजेंसी आपको कॉल कर के पैसा ट्रांसफर करने के लिए नहीं कहती। हालांकि, अगर आपको कॉल करके ऐसा करने के लिए कहा जा रहा है तो समझ लीजिए कि कुछ गड़बड़ है।
यदि कोई कहता है कि:
तो बस एक मिनट रुकिए, यह 100% स्कैम है। आपको इसमें फँसने से बचना है, आपका जरा सा जागरूक होना आपको बड़े खतरे से बचा सकता है।
भारत ने साइबर अपराध से निपटने के लिए पिछले कुछ सालों में कई मजबूत ढाँचे खड़े किए हैं:
फिर भी, डिजिटल अरेस्ट स्कैम की चुनौती इतनी गंभीर है कि मामला आखिरकार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
केंद्र सरकार के अनुसार, डिजिटल अरेस्ट में अब तक 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की जा चुकी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए CBI को देशभर में इन मामलों की जांच की खुली छूट दी है।
कोर्ट ने कुछ अहम कदम भी तय किए:
यह पहली बार है जब डिजिटल अरेस्ट को राष्ट्रीय स्तर की बड़ी आर्थिक धोखाधड़ी मानकर सुप्रीम कोर्ट, केंद्र और जांच एजेंसियाँ एक साथ उतरी हों।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम भारत को इस सच्चाई से रूबरू कराता है कि साइबर अपराधियों की तकनीक हमारी कल्पना से कहीं आगे जा चुकी है। यह सिर्फ डिजिटल सुरक्षा का मुद्दा नहीं, यह लोगों के मानसिक, आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा सवाल है।
CBI और I4C की सक्रियता उम्मीद जगाती है, लेकिन असली सुरक्षा तभी संभव है जब आम नागरिक भी सतर्क रहें। किसी भी डराने वाली कॉल, वीडियो कॉल या फेक नोटिस का सिर्फ एक जवाब है:
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