भारत में स्ट्रीट फूड का स्वाद तो लाजवाब होता ही है, लेकिन अब इसे बनाने का तरीका भी हाई-टेक और फ्यूचरिस्टिक होता जा रहा है. आपने ऑटोमैटिक गोलगप्पे की मशीनें या चाय वेंडिंग मशीनें तो देखी होंगी, लेकिन क्या कभी किसी रोबोट को तवे पर गरमा-गरम डोसा बनाते और उसे परफेक्टली रोल करते देखा है?
यह कोई फैक्ट्री नहीं, बल्कि बिहार की एक सड़क का नजारा है. एक फूड वेंडर ने टेक्नोलॉजी और स्वाद का ऐसा जुगाड़ बैठाया है कि देखने वाले देखते ही रह गए. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक रोबोटिक आर्म (Robotic Arm) किसी अनुभवी बावर्ची की तरह डोसा बना रही है. आइए, इस अनोखे ‘रोबो-शेफ’ के बारे में विस्तार से जानते हैं.
स्ट्रीट फूड इनोवेशन की लगातार बदलती दुनिया में, बिहार के एक फूड वेंडर का रोबोटिक आर्म का उपयोग करके सटीकता के साथ डोसा रोल करने का एक वीडियो इंटरनेट पर छाया हुआ है. यह वीडियो, जिसे मूल रूप से फूड कंटेंट क्रिएटर ‘फूडी देवेश’ (Foodie Devesh) द्वारा YouTube पर शेयर किया गया था, एक ऐसी डोसा बनाने की प्रक्रिया को प्रदर्शित करता है जो लगभग फ्यूचरिस्टिक लगती है.
वीडियो में, एक गर्म तवे पर डोसा पकता हुआ दिखाई दे रहा है, जो पूरी तरह से फैला हुआ है और कुरकुरा हो रहा है. तभी, एक रोबोटिक आर्म हरकत में आती है. यह मशीन पहले डोसे के एक किनारे को खुरचती है और फिर उसे एक ही बार में, बिना टूटे, परफेक्टली रोल कर देती है. आपको बता दें कि डोसा को इतना पतला और गोल रोल करना एक ऐसा काम है जिसके लिए आमतौर पर कुशल हाथों और वर्षों के अभ्यास की आवश्यकता होती है, लेकिन यह मशीन इसे चुटकियों में कर देती है.
हालांकि, मशीन यहीं नहीं रुकती. वीडियो में यह भी देखा गया है कि आर्म अगले डोसे के लिए गर्म सतह पर बैटर (घोल) को भी सफाई से फैला रही है, जबकि वेंडर इसे कुरकुरा बनाने में मदद करने के लिए किनारों पर तेल डालता है. एक बार पक जाने के बाद, एक तरफ आलू मसाला का एक बड़ा चम्मच रखा जाता है, और कुछ ही सेकंड के भीतर, रोबोटिक आर्म इसे एक परफेक्ट रोल में बदल देती है.
आखिर में सर्विंग को पूरा करने के लिए, वेंडर मानवीय स्पर्श देता है. वह डोसा को प्लेट में निकालता है और गर्म सांभर और नारियल की चटनी डालकर काउंटर पर इंतजार कर रहे ग्राहक को सौंप देता है.
इस इनोवेशन से हैरान यूजर्स ने इसे “भारतीय स्ट्रीट फूड का भविष्य” कहा और इस बात की प्रशंसा की कि कैसे टेक्नोलॉजी पारंपरिक स्वादों को छीने बिना दक्षता बढ़ा सकती है. लोग इस बात से खुश हैं कि छोटे शहरों में भी ऑटोमेशन का ऐसा इस्तेमाल हो रहा है.
एक यूजर ने सुझाव दिया, “बैटर डालने की क्रिया को भी ऑटोमेटेड किया जा सकता है.”
वहीं एक अन्य यूजर ने मजाकिया अंदाज में लिखा, “क्विक गन मुरुगन लोडिंग!”
कई यूजर्स ने इस बात पर भी आश्चर्य और विस्मय दिखाया कि कैसे हमारे पसंदीदा स्ट्रीट स्नैक्स भी अब ऑटोमेशन के युग में प्रवेश कर रहे हैं. यह न केवल हाइजीन के लिए अच्छा है, बल्कि यह दिखाता है कि भारत के वेंडर्स नई तकनीक को अपनाने में पीछे नहीं हैं.