Panchayat Season 4: जब पहली बार प्राइम वीडियो सीरीज Panchayat रिलीज़ हुई थी, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक छोटे से उत्तर प्रदेश के गाँव की कहानी पूरे देश को इतनी गहराई से छू जाएगी। लेकिन यही हुआ — फुलेरा गाँव और सचिव जी के किरदार ने दर्शकों के दिल में एक खास जगह बना ली। न कोई बड़ी चमक-धमक, न हाई-ड्रामा — सिर्फ सादगी, सच्चाई और इंसानी भावनाओं की एक खूबसूरत झलक। अब जब सीज़न 4, 24 जून को रिलीज़ होने वाला है, तो चलिए एक बार फिर याद करें पिछले तीन सीज़न की वो खास कहानियाँ, जो हमें फुलेरा का हिस्सा बना गईं।
पहले सीज़न में हम मिलते हैं अभिषेक त्रिपाठी (जितेन्द्र कुमार) से, जो इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं और फूलेरा गाँव में पंचायत सचिव की नौकरी मजबूरी में स्वीकारते हैं। शुरू में उन्हें गाँव की सादगी भरी ज़िंदगी से तालमेल बैठाने में दिक्कत होती है। लेकिन धीरे-धीरे विकास (चंदन रॉय), प्रह्लाद (फैसल मलिक), और प्रधान जी (रघुबीर यादव) जैसे लोगों से मेलजोल उन्हें बदलने लगता है। नीना गुप्ता इस सीज़न में मंजू देवी के रूप में नजर आती हैं, जो नाम की प्रधान हैं लेकिन धीरे-धीरे अपनी जिम्मेदारी निभाने लगती हैं।
दूसरे सीज़न में अभिषेक और गाँव के बीच की दूरी कम होती है। रिंकी (सानविका) से उनका रिश्ता धीरे-धीरे बनता है और वह गाँव के मुद्दों में अधिक योगदान देते हैं। लेकिन इस सीज़न का अंत भावुक है — जब प्रह्लाद के फौजी बेटे की मौत की खबर आती है। यह क्षण पूरे शो की टोन को बदल देता है और दिखाता है कि छोटे गाँवों में निजी दुःख कितनी गहराई से महसूस किया जाता है।
तीसरे सीज़न की शुरुआत होती है अभिषेक के ट्रांसफर से, लेकिन फुलेरा में फैली राजनीतिक उथल-पुथल के चलते वो वापस बुला लिए जाते हैं। MLA चंद्रकिशोर की राजनीति, गाँववालों की ईमानदारी से टकराती है। शो का सबसे दिलचस्प मोड़ आता है जब गाँव वाले MLA के घमंड का मज़ाक उड़ाते हुए उसका घोड़ा खरीद लेते हैं। वहीं प्रह्लाद अपने बेटे की मौत के बाद शराब में डूबे हुए हैं। रिंकी और विकास के साथ अभिषेक का रिश्ता और मजबूत होता है। लेकिन जब प्रधान जी को गोली लगती है, तो सीज़न एक तनावपूर्ण मोड़ पर खत्म होता है, जिसमें डर, हिम्मत और उम्मीद सब कुछ शामिल है।
फूलेरा सिर्फ एक गाँव नहीं, अब एक एहसास बन चुका है, जहां हर कहानी में हमारी ज़िंदगी की परछाईं दिखती है।
अब जब Panchayat Season 4 की रिलीज़ डेट 24 जून तय हो चुकी है, तो फैंस बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं कि सचिव जी और फुलेरा की ज़िंदगी में आगे क्या-क्या मोड़ आने वाले हैं। क्या राजनीति और रिश्तों की यह जंग और भी गहरी होगी? या हमें फिर से वही पुरानी सादगी भरी मुस्कानें देखने को मिलेंगी?
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