फिल्में सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं होतीं, बल्कि समाज का आईना भी होती हैं। बहुत सी भारतीय फिल्मों ने जातिवाद, महिलाओं के साथ भेदभाव और समाज में फैले अन्याय जैसे मुद्दों को बेझिझक दिखाया है। ये फिल्में हमें सोचने पर मजबूर करती हैं और बदलाव के लिए जागरूक बनाती हैं। आइए जानते हैं ऐसी 8 दमदार फिल्मों के बारे में, जो समाज की सच्चाई सामने लाती हैं।
यह फिल्म एक आदिवासी युवक की चुप्पी और उसकी पत्नी की मौत के पीछे छुपे सच को दिखाती है। एक वकील जब उसकी मदद करता है, तो पता चलता है कि सिस्टम और सत्ता कैसे मिलकर गरीबों को दबाते हैं।
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यह फिल्म एक सच्ची घटना पर बनी है। इसमें एक गरीब आदमी को पुलिस झूठे केस में फंसा देती है। एक वकील उसकी मदद करता है और जातिवाद से भरी व्यवस्था से लड़ता है।
यह कहानी एक दलित लड़के की है जो वकील बनना चाहता है। लेकिन उसे कॉलेज में जाति के कारण बार-बार अपमान सहना पड़ता है। फिल्म दिखाती है कि आज भी जातिवाद किस तरह लोगों के सपनों को रोकता है।
यह फिल्म गुजरात दंगों पर आधारित है। एक पारसी परिवार अपने बेटे को दंगों में खो देता है और उसकी तलाश में जुट जाता है। फिल्म भावनाओं से भरी हुई है और दंगों की सच्चाई दिखाती है।
यह एक लव स्टोरी है, जिसमें एक ऊँची जाति की लड़की और नीची जाति का लड़का प्यार में पड़ते हैं। लेकिन समाज उनका प्यार स्वीकार नहीं करता। यह फिल्म बताती है कि प्यार भी जातिवाद से सुरक्षित नहीं है।
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यह फिल्म दो अलग-अलग कहानियों को दिखाती है—एक लड़की जो अपनी आज़ादी के लिए लड़ रही है और एक लड़का जो प्यार में जातिवाद का सामना करता है। दोनों कहानियाँ समाज के सख्त नियमों को सवालों के घेरे में लाती हैं।
यह फिल्म फूलन देवी की ज़िंदगी पर है। बचपन में अत्याचार सहने के बाद वह डकैत बनती हैं और बाद में संसद तक पहुँचती हैं। फिल्म एक महिला की लड़ाई, साहस और बदले की कहानी है।
इस फिल्म में तीन लड़कियाँ अपने हक के लिए लड़ती हैं जब कुछ लड़के उन पर गलत इल्ज़ाम लगाते हैं। फिल्म बताती है कि “ना” कहना भी एक अधिकार है और महिलाओं की आवाज़ सुनी जानी चाहिए।