घोटालेबाज़ लोगों को धोखा देने के लिए लगातार नए तरीके अपना रहे हैं।
ऑनलाइन धोखाधड़ी के हालिया मामले में चंडीगढ़ की महिला एक तगड़े घोटाले में फंस गई।
इस मामले में स्कैमर्स ने पीड़ित को झांसे में लेने के लिए आधार और सिम कार्ड्स के बीच के लिंक को निशाना बनाया।
woman in chandigarh loses rs 80 lakhs in new aadhaar scam
वर्तमान में भारत ऑनलाइन घोटालों के एक बड़े जाल से जूझ रहा है, जिसमें हर दिन हजारों लोग अपने लाखों-करोड़ों गवां रहे हैं। घोटालेबाज़ लोगों को धोखा देने के लिए लगातार नए तरीके अपना रहे हैं और उनके पैसे चोरी कर रहे हैं। ऑनलाइन धोखाधड़ी के हालिया मामले में चंडीगढ़ की महिला एक तगड़े घोटाले में फंस गई, जिसमें उन्हें खुद को क्राइम ब्रांच अधिकारी बताने वाले धोखेबाजों से अपने 80 लाख रुपए गंवाने पड़े। इस मामले में ध्यान देने वाली बात यह है कि स्कैमर्स ने पीड़ित को झांसे में लेने के लिए आधार और सिम कार्ड्स के बीच के लिंक को निशाना बनाया।
Tribune India की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित, सेक्टर 11, चंडीगढ़ की निवासी के पास एक व्यक्ति का कॉल आया जो मुंबई में क्राइम ब्रांच का एक पुलिस ऑफिसर होने का दावा कर रहा था। उसका कहना था कि महिला के आधार कार्ड से जारी किए गए सिम कार्ड को अवैध काले धन को वैध बनाने की गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा रहा था।
विश्वसनीय दिखने के लिए धोखेबाज़ ने महिला को यह नकली जानकारी दी कि उनके खिलाफ काले धन को वैध बनाने की 24 शिकायतें दर्ज की गई हैं। उसके बाद कॉल करने वाले ने पीड़ित संभावित गिरफ़्तारी की धमकी दी। घबराकर किसी भी तरह की कानूनी समस्या से बचने के लिए पीड़ित ने कॉल करने वाले के सभी निर्देशों को बारीकी से फॉलो किया।
मामले को सुलझाने के लिए कॉलर ने महिला से कहा कि अभी चल रही जांच-पड़ताल के एक हिस्से के तौर पर बताए गए बैंक खाते में 80 लाख रुपए जमा कर दें, और यह वादा किया कि अगर वह बेगुनाह साबित हुई तो उनके पैसे वापस कर दिए जाएंगे। अपना नाम साफ करने के लिए महिला ने पैसे ट्रांसफ़र कर दिए और बाद में उन्हें समझ आया कि उन्हें ठगा गया है। जब तक पीड़ित को धोखे के बारे में समझ आया, स्कैमर बिना कोई सबूत छोड़े गायब हो चुका था और उनके पैसे भी वापस नहीं मिले। साइबरक्राइम पुलिस स्टेशन में इस मामले को रजिस्टर किया गया है और इसकी जांच अभी चल रही है।
यह एक अन्य मामला है जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे स्कैमर्स लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीकों को विकसित कर रहे हैं। यह सतर्क रहने के महत्व को समझाता है। इस तरह के घोटालों से सुरक्षित रहने के लिए ये रहीं कुछ जरूरी टिप्स:
कॉल करने वाले की पहचान को हमेशा वेरिफाई करें। असली अधिकारी कभी भी फोन पर निजी जानकारी या पैसे नहीं मांगते। ऐसे में वेरिफाइड कॉन्टैक्ट नंबर का इस्तेमाल करके सीधे संगठन को कॉल करके चेक कर लें।
फोन पर कभी भी संवेदनशील निजी जानकारी जैसे आधार नंबर्स, बैंक डिटेल्स या OTPs शेयर न करें। वैध संगठन इस तरह से कभी भी ऐसी कोई जानकारी नहीं मांगेगा।
तुरंत एक्शन लेने पर मजबूर करने के लिए डराने वाली दाव-पेचों से सतर्क रहें। कानून प्रवर्तन एजेंसियां उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करती हैं और फोन पर गिरफ्तारी की धमकियों का सहारा नहीं लेतीं।
अगर आपके पास कोई संदिग्ध कॉल आए तो कोई भी फैसला लेने से पहले परिवार के सदस्यों, दोस्तों या विश्वसनीय सूत्रों से सलाह मशवरा जरूर कर लें। एक दूसरी राय अक्सर जल्दबाजी में लिए जाने वाले फैसलों को रोक सकती है।
किसी भी संदिग्ध कॉल या मेसेज के बारे में तुरंत पुलिस या अपने सर्विस प्रोवाइडर को रिपोर्ट करें। पहले ही रिपोर्ट कर देने से बाद के घोटालों से बचा जा सकता है और ये जांच-पड़ताल में मदद कर सकते हैं।
आधार या दूसरे आधिकारिक दस्तावेज़ों से संबंधित दावों को प्रमाणित करने के लिए आधिकारिक चैनल्स जैसे सरकारी वेबसाइट्स और हेल्पलाइंस का इस्तेमाल करें।
सबसे जरूरी बात यह है कि लेटेस्ट घोटालों और धोखाधड़ी की तकनीकों के बारे में खुद को अपडेटेड रखें। साइबर अपराधों को रोकने में जागरूकता एक शक्तिशाली औज़ार है।
फाईज़ा परवीन डिजिट हिंदी में एक कॉन्टेन्ट राइटर हैं। वह 2023 से डिजिट में काम कर रही हैं और इससे पहले वह 6 महीने डिजिट में फ्रीलांसर जर्नलिस्ट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही हैं, और उनके पसंदीदा तकनीकी विषयों में स्मार्टफोन, टेलिकॉम और मोबाइल ऐप शामिल हैं। उन्हें हमारे हिंदी पाठकों को वेब पर किसी डिवाइस या सेवा का उपयोग करने का तरीका सीखने में मदद करने के लिए लेख लिखने में आनंद आता है। सोशल मीडिया की दीवानी फाईज़ा को अक्सर अपने छोटे वीडियो की लत के कारण स्क्रॉलिंग करते हुए देखा जाता है। वह थ्रिलर फ्लिक्स देखना भी काफी पसंद करती हैं।