ISRO चीफ़: 2021 तक मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी

ISRO चीफ़: 2021 तक मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी
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हाल ही में भारत का 33वां संचार सैटेलाइट, GSAT 29 सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया है। इस मौके पर Indian Space Research Organisation (ISRO) के चीफ़ ने इस बात का भी खुलासा कर दिया है कि 2021 तक इसरो टीम मनुष्य को स्पेस में भेजने की तैयारी में लगी हुई है।

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से संचार सैटेलाइट GSAT 29 का सफल लॉन्च किया है। इस सफल लॉन्च के बाद Indian Space Research Organisation (ISRO) के चीफ़ K Sivan ने इस बात की घोषणा की कि इसरो ने 2021 तक  देश के सबसे महत्वकांक्षी, मानवयुक्त स्पेस मिशन को  पूरा करने का टारगेट सेट कर लिया है। आपको बता दें कि GSAT 29 लगभग 3,423 किलोग्राम वज़नी है। इसे इसरो के सबसे दमदार रॉकेट GSLV-MkIII-D2 के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। बताया जा रहा है कि जीसैट-29  श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाने वाला 67वां और भारत का 33वां संचार सैटेलाइट है।

इसरो के GSAT 29 की लॉन्चिंग से जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के दूर-दराज़ के इलाकों में इंटरनेट पहुँचाना अब आसान होगा। सैटेलाइट में हाई रेज़ोल्यूशन कैमरा लगा हुआ है। इसे 'जियो आई' नाम दिया गया है। वहीं ‘गगनयान' प्रोग्राम के तहत दिसंबर 2020 तक मानव रहित मिशन शुरू करने की भी योजना बनाई जा रही है। ISRO प्रमुख ने कहा, ''मिशन टीम सही रास्ते पर बढ़ रही है और काम चल रहा है। स्पेस एजेंसी दो मानवरहित मिशन्स की योजना बना रही है।

तीसरा मिशन मानवयुक्त होगा। सबसे पहले हम सभी पैरामीटर्स फॉलो करेंगे। दूसरे मानवरहित मिशन की पुष्टि के बाद हम ह्यूमन मिशन पर जाएंगे।'' ISRO चेयरमैन का कहना है कि उनका पहला मिशन मनुष्य को स्पेस में ले जाने का था। उन्होंने बताया कि वह वे 5-7 दिनों के लिए जाएंगे और वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट करेंगे जिसके बाद उन्हें सुरक्षित वापस ले आया जाएगा।

आपको बता दें कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहा था कि भारत गगनयान के जरिए 2022 तक मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने की कोशिश करेगा। अभियान के सफल होते ही भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले इसरो प्रमुख ने यह भी बताया था कि स्पेस में एक इंडियन एस्ट्रोनॉट को भेजने के लिए जिन-जिन टेक्नोलॉजी की ज़रूरत पड़ सकती है, उन्हें पहले ही बना  लिया गया है जैसे कि 'ह्यूमन क्र्यू मॉड्यूल' और 'एन्वायरमेंट कण्ट्रोल और लाइफ सपोर्ट सिस्टम' ।

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