India-Pakistan Conflict: DeepFake Videos कर सकते हैं ‘गुमराह’, कैसे पहचाने असली की नकली?
इस समय इंडिया और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे ही माहौल बन रहे हैं, एक ओर मीडिया रिपोर्ट्स जानकारी दे रही है कि पाकिस्तान भारत पर बड़े पैमाने पर ड्रोन और मिसाइल अटैक कर रहा है, इसके जवाब में भारत का एयर डिफेन्स सिस्टम सक्रीय रूप ने इस तरह के हमलों को नाकाम कर रहा है। यह सब एक ओर चल रहा है। हालांकि, दूसरी ओर सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और प्रोपेगेंडा भी चलने शुरू हो गए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जहां एक ओर खबरें तो मिल रही हैं, लेकिन दूसरी ओर फेक न्यूज भी बड़े पैमाने पर फैलाई जा रही है। ऐसे में आपको सतर्क रहना होगा कि आखिर किस खबर पर विश्वास किया जाए किस पर नहीं। असल में, इस तरह की परिस्थिति में फेक न्यूज किस तरह से एक हथियार का रूप ले सकती है, यह सब अच्छे से जानते हैं।
Surveyहालांकि, मैं एक अलग तरह से भी इसे देख रहा हूँ, फेक न्यूज अपनी जगह ठीक है, प्रोपेगेंडा अपनी जगह ठीक है लेकिन क्या अगर डीपफेक (DeepFake) इस समय प्रचार प्रसार कर दिए जाएँ, हम जानते है कि इस तरह के वीडियो इस समय माहौल को जो पहले से ही बिगड़ा हुआ है, कितना ज्यादा बिगाड़ सकते हैं, पिछले कुछ समय में हमने देखा है कि DeepFake ने कैसे लोगों के लाइफ को एकदम ही इतने बड़े पैमाने पर प्रभावित कर दिया था कि मानों उनके पैरों तले जमीन ही निकल गई थी। अब अगर इस तरह के वीडियो (DeepFake) इंडिया-पाकिस्तान के बीच चल रही टेंशन के बीच फैला दिए जाएँ तो यह युद्ध जैसे स्थिति को युद्ध में बदल सकने में कोई कमी नहीं छोड़ने वाले हैं।
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उदाहरण के लिए मानकर चलिए कि आपके पास अभी एक वीडियो आता है, जिसमें देश के एक बड़े राजनेता आपको कुछ ऐसा कहते नजर आते हैं जो देश के हिट में नहीं देश की सुरक्षा के खिलाफ है तो आपको कैसा लगने वाला है और आप इसपर अपनी कैसी प्रक्रिया देने वाले हैं। मुझे ऐसा लग रहा है कि जहां एक ओर इस परिस्थिति में साइबर अपराध बढ़ सकते हैं, ऐसे में DeepFake Video आदि भी प्रसारित किये जा सकते हैं। इसी कारण हमें सोशल मीडिया से मिल रही किसी भी खबर की सत्यता को जरूर जांच लेना चाहिए। आइए अब जानते है कि अगर आपको ऐसा कोई डीपफेक वीडियो मिल जाता है तो आपको इसपर विश्वास करने के बजाए यह जांच करनी चाहिए कि यह असल है कि नहीं।
कैसे पता किया जा सकता है कि कोई वीडियो डीपफेक है या नहीं?
डीपफेक तकनीक से बनाए गए वीडियो हाई लेवल के हेरफेर चेहरे को बदलकर और उसके हावभाव पर केंद्रित होते हैं। हम यहाँ आपको कुछ ऐसे टिप्स के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जिनसे आप कहीं न कहीं डीपफेक वीडियो या इमेजेस की पहचान कर सकते हैं कि यह असली है कि नहीं। इन पॉइंट्स को जानने के बाद आप असली और नकली के बीच के फ़र्क को आसानी से पहचान सकते हैं। आइए जानते है कि आपको किन बातों का ध्यान रखना है।
- वीडियो में बोलने वाले के माथे और गाल पर ध्यान दें
आपको यहाँ देखना है कि स्किन शाइनी है फिर बहुत झुर्रीदार दिखाई देती है? क्या स्किन की उम्र बालों और आँखों की उम्र से मेल खाती है? डीपफेक कहीं कहीं इस तरह की कमियों को छोड़ दिया जाता हैं, इसी से आप इनकी पहचान कर सकते हैं।
- आँखों और आईब्रोज को चेक करें
क्या उन जगहों पर शैडो नजर आती है, जहां असल में एक असल वीडियो में आनी चाहिए? डीपफेक कभी-कभी असल मायने में इमेजेस को सही प्रकार से नहीं दिखा पाते हैं। इसी कारण जिन जगहों की यहाँ बात की जा रही है, वह अलग अलग लग सकते हैं।
- चश्मे पर ध्यान दें
क्या चश्मे पर कोई चमक (ग्लेयर) दिखाई देती है? क्या चमक बहुत अधिक है? जब व्यक्ति हिलता है तो क्या चमक का कोण बदलता है? डीपफेक नेचुरल लाइट को सही प्रकार से दिखाने में विफल हो जाती है।
- चेहरे के बालों पर या नहीं होने पर गौर करें
क्या चेहरे के बाल (मूंछ, साइडबर्न, या दाढ़ी) वास्तविक दिखते हैं? डीपफेक में चेहरे के बाल जोड़े या हटाए जा सकते हैं, लेकिन ये परिवर्तन पूरी तरह से प्राकृतिक नहीं दिख सकते।
- चेहरे पर तिल आदि को भी देखें
अगर किसी असल व्यक्ति के चेहरे पर तिल आती हैं तो यह वीडियो में भी असली के जैसे ही होने चाहिए, अगर ऐसा नहीं है तो आपको इस वीडियो या इमेज पर शक हो जाना चाहिए।
- पलक झपकने आदि पर भी ध्यान दें
आपको ध्यान से देखना होगा कि क्या व्यक्ति पर्याप्त पलक झपकता है या बहुत अधिक? डीपफेक में पलक झपकने की स्पीड या आवृत्ति असामान्य हो सकती है।
- होंठों पर भी ध्यान देना जरूरी
कुछ डीपफेक होंठों के तालमेल (लिप-सिंकिंग) पर आधारित होते हैं। क्या होंठों की गति नेचुरल दिख रही है? आपको इस बात पर खास ध्यान देना चाहिए, ऐसा करके आप एक डीपफेक वीडियो की पहचान आसानी से कर सकते हैं।
यह बात तो रही कि फिज़िकल तौर पर आप कैसे एक डीपफेक वीडियो को पहचान सकते हैं अर्थात् आप कैसे देखकर किसी भी वीडियो का पता लगा सकते है कि वह सही है नहीं। इसके अलावा इंटरनेट पर आपको बहुत से टूल भी मिल जाते हैं, जो तकनीकी तौर पर आपको यह जानकारी दे सकते हैं कि जो वीडियो या इमेज आप देख रहे हैं, वह डीपफेक है या नहीं।
नोट: आपको जानकारी के लिए बता देते है कि आप वैसे तो कई टूल्स का इस्तेमाल करके जानकारी ले सकते हैं, लेकिन किसी भी टूल को आप रीलाअबल नहीं कह सकते हैं। आइए इन टूल्स के बारे में जानते हैं।
TrueMedia.org
इस प्लेटफॉर्म की ओर से एक फ्री टूल को आम जनता, पत्रकारों और फ़ैक्ट चेक करने वालों के मुहैया करवाया जाता है। यह कई AI Models का इस्तेमाल करके इसे दिए गए वीडियो की जांच आपको बताता है, हालांकि, यह 100% सही नहीं होता है।
DeepFake-O-Meter: इस फ्री टूल का निर्माण Buffalo Media Forensic Lab में स्थित विश्वविद्यालय में निर्मित किया गया है। इस टूल को एक्सेस करने के लिए आपको इसमें एक अकाउंट बनाने की जरूरत होती है। यह इस बारे में आपको जानकारी दे सकता है कि जो वीडियो आपने इसे दिया है, उसमें Audio को AI की ओर से निर्मित किया है या नहीं, हालांकि इसे भी पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता है।
किसी भी वीडियो या इमेज पर विश्वास करने से पहले आपको अपने स्तर या किसी टूल की मदद लेकर वेरीफाई कर लेना चाहिए। एक्स्पर्ट्स की मानें तो आपको सही डिटेल्स के लिए कई अलग अलग टूल्स को इस्तेमाल में ले लेना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप किसी भी वीडियो पर ऐसे ही भरोसे करने के बजाए उसकी जांच करके अपने मत को बदल सकते हैं। इंडिया-पाक के बीच चल रही इस टेंशन के बीच मैं आपसे यही कहूँगा कि अगर आपको कोई प्रोपेगेंडा वीडियो मिलता है जो आपको लगता है कि आपके या आपके देश के खिलाफ गलत तरीके से चलाया जा रहा है तो आप इसकी जांच कर सकते हैं। ऐसा करके आप बिगड़ती परिस्थिति को सुधारने में कुछ मदद कर सकते हैं।
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Ashwani Kumar
Ashwani Kumar has been the heart of Digit Hindi for nearly nine years, now serving as Senior Editor and leading the Vernac team with passion. He’s known for making complex tech simple and relatable, helping millions discover gadgets, reviews, and news in their own language. Ashwani’s approachable writing and commitment have turned Digit Hindi into a trusted tech haven for regional readers across India, bridging the gap between technology and everyday life. View Full Profile