-अल्फिया खानम
एक यूथ-सेंट्रिक फिल्म जो सोशल मीडिया के खतरनाक असर और उसकी लत के मनोवैज्ञानिक प्रभावों को दिखाती है।
फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे सोशल मीडिया का ग्लैमर और वर्चुअल फेम दो जिंदगियों को बदल देता है।
भले ही फिल्म सेक्स एजुकेशन पर आधारित है, लेकिन इसमें सोशल मीडिया पर विषय को कैसे उठाया जाता है, यह दर्शनीय है।
तीन दोस्तों की कहानी जो वर्चुअल और रियल वर्ल्ड के बीच खुद को खोते और पाते हैं। इंस्टाग्राम, स्टोरीज़ और लाइक्स पर ज़िंदगी जीने का असर बखूबी दिखाया गया है।
इस फिल्म में तेज रफ्तार घटनाओं के बीच सोशल मीडिया की मौजूदगी और दबाव को रचनात्मक ढंग से पेश किया गया है।
पत्रकारिता और सच्चाई की खोज के बीच सोशल मीडिया किस तरह एक कहानी को पलट सकता है, इसका बेहतरीन उदाहरण है ये फिल्म।
फिल्म सामाजिक संदेश देती है लेकिन सोशल मीडिया के ज़रिए जनजागरण और कैंपेनिंग का तरीका इसे आज की कहानी बनाता है।